Thursday, April 16, 2020

An Appeal To Prime Minister of India

फोरम  आफ  बैंक पेंशनर  एक्टिविस्टस्
   Forum of Bank Pensioner Activists
                    PRAYAGRAJ


श्री नरेन्द्र मोदी,
माननीय प्रधानमंत्री
भारत सरकार,
नई दिल्ली

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

    कोविड-19 और बैंक कर्मचारी/अधिकारी

इस महामारी के समय में, देश और बैंक ग्राहकों की सेवा में संलग्न बैंककर्मियों की सुरक्षा और उन्हें कार्यशील बनाये रखने को लेकर, बैंकर्स द्वारा किये गये उपायों पर, हम अपना विनम्र प्रतिरोध दर्ज करते हैं.  बैंककर्मीं रोजाना सैकड़ों बैंक ग्राहकों के संपर्क में आते हैं और बहुतों के पास मास्क तक नहीं होता. इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को अनेक मेल भेजने के बावजूद, न तो ध्यान दिया गया और न ही कोई समुचित कारगर सुरक्षात्मक उपाय ही किये गये. बैंकें तदर्थ नीतियों से काम ले रही हैं, जिनका विषय की गंभीरता से कोई लेना देना नहीं है. हम आपके समक्ष निम्न हालात प्रस्तुत करना चाहते हैं:

1. सरकार ने कोरोना योद्धाओं, अर्थात पुलिस, प्रशासन, डाक्टर्स, नर्सेज, पैरा मेडिकल स्टाफ आदि, के लिए रु. 50 लाख का जीवन बीमा किया है, जबकि बैंककर्मियों के लिए बैंकों की तरफ से ऐसा कोई उपाय नहीं किया गया है. पता नहीं, सरकारी बैंकें ऐसी आपराधिक लापरवाही कैसे कर सकतीं हैं?

2. हमें खेद है, बैंक अधिकारियों को, स्थानीय प्रशासन, ग्राहकों द्वारा सोसल डिस्टांसिंग भंग किये जानें पर, परेशान कर रहा है. बैंक अधिकारी बैंक परिसर में सोसल डिस्टांसिंग सुनिश्चित कर सकते हैं, लेकिन बैंक परिसर के बाहर, सड़क पर सोसल डिस्टांसिंग बनाये रखना प्रशासन का काम है. जिलाधिकारियों/पुलिस प्रशासन को बैंक प्रशासन से समुचित तालमेल रखना चाहिए, न कि प्रताड़नापूर्ण व्यवहार करना चाहिए!

3. सभी बैंक आकस्मिकता प्रबंधन की अलग-अलग नीतियां अपना रखा है. कुछ बैंकें रु.200/- हर कर्मचारी/अधिकारी को रोज आकस्मिक व्यय के रूप में दे रहीं हैं. कुछ बैंकें 6 दिन काम करने पर एक दिन का अतिरिक्त वेतन दे रहीं हैं. कुछ बैंकों नें एक महीनें का वेतन अग्रिम के रूप में दिया है, जिसकी वसूली जुलाई 2020 से मार्च, 2021 के दौरान होगी. ऐसा लाकडाउन समय के लिए है. ज्यादातर बैंकों नेंं ऐसी-वैसी कोई नीति नहीं अपनाया और राम भरोसे काम चला रहीं है.

इससे बैंककर्मियों में क्षोभ, रोष एवं असंतोस व्याप्त है. करोना एक अदृश्य एवं उपचारहीन महामारी है, सीधे तौर पर जीवन पर खतरा है, सोसल डिस्टांसिंग बचाव का एकमात्र उपाय है, जो बैंकिग सेवा करते संभव नहीं है. लाकडाउन एक आकस्मिक प्रतिरोधात्मक उपाय है, लेकिन इससे जीवन का संकट दूर नहीं होता.

इस विषय में हमनें आई.बी.ए. को मेल भेज कर आग्रह किया कि फिलहाल प्रथम चरण में मार्च से जून, 2020 के लिए अधिकारियों, क्लर्कों और चपरासियों को क्रमश: रु.5000, रू.4000 व रू.3000 प्रतिमाह अतिरिक्त व्यय के रूप में दिया जाए. अग्रिम वेतन के बजाय श्रृजित एरियर के मद में एक महीनें का वेतन और अग्रिम दिया जाए. रिवाइज्ड वेतन नवंबर, 2017 से बाकी है और 15% वृद्ध पर सहमति बन चुकी है और बैंकों के पास इस राशि का प्रावधान है.

4. बैंकिंग समुदाय का एक बड़ा हिस्सा बेहद असहाय और आर्थिक विपन्नता का शिकार है. 4.5 लाख बैंक पेंशनर्स, जिनकी औसत आयु 75 वर्ष है, सीधे तौर पर इस महामारी की चपेट में हैं, लेकिन बैंकर्स की बला से. 75% पेशनरों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है. 90000 विधवा फेमिली पेंशनर्स हैं, जिन्हें पेंशन 15% मिलती है, जो रु.7000/8000 हजार महीना होती है. बैंक पेशनर की पेंशन केन्द्र/रिजर्व बैंक पेंशन नीति की प्रतिकृति है, लेकिन 1.1.1986 से लागू होनें के बाद एक बार भी रिवाइज नहीं हुई है. वेतन 5वीं बार बढ़ने जा रहा है, पर पेंशन रिवीजन नहीं, जबकि पेंशन भुगतान का कोई वित्तीय भार बैंकों पर नहीं पड़ता.

पेंशन का भुगतान पेंशन फंड, जिसका श्रृजन बैंककर्मियों-बैंकर्स के वित्तीय योगदान से हुआ है, की आय से होता है. बैंक पेशनरों को बैंकों की कल्याण निधि में बराबर की पात्रता है, लेकिन इसका कोई लाभ पेंशनर्स को नहीं मिल रहा है. हमनें इस आपदाकाल में एक महीनेंं की पेंशन अनुग्रह राशि के रूप में देने का आग्रह बैंकर्स से किया, पर कोई सुनवाई नहीं हुई.

5. आदरणीय प्रधानमंत्री जी, आपके आह्वान पर कोरोना योद्धाओं का देश की जनता ने अभिनंदन किया, उनकी सेवावों पर कृतज्ञताभाव व्यक्त किया, उनका मनोबल बढ़ाया. आपने अपनें आह्वान में बैंककर्मियों को शामिल नहीं किया. बैंककर्मियों को दु:ख हुआ कि 'प्रधान सेवक', प्रधानमंत्री जी, नें छोटे सेवकों, बैंककर्मियों, की अनदेखी की. बैंककर्मीं आपके आह्वाहनों- नोटबंदी, जन-धन खाते, बीमा, दुर्घटना बीमा आदि आदि - को सिरमाथे पर रखा और आपकी आशाओं के अनुरूप सर्वोत्तम परिणाम दिया. और, आज भी जान की बाजी लगा कर इस मुस्किल हालात में काम कर रहा है. उनका दु:खी होना स्वाभाविक है.

अत:, आपसे हमारा आग्रह है:

1. अन्य कोरोना योद्धाओं की तरह बैंक योद्धाओं का भी 50 लाख का बीमा किया जाए,

2. सोसल डिस्टांसिंग को लेकर प्रशासन तंग न करे,

3. सभी बैंकों के लिए एक समान आकस्मिकता योजना एवं क्षतिपूर्ति की नीति हो.

4. आकस्मिकता योजना, लाकडाउन के बजाय कोरोना बीमारी को लक्ष मान कर हो और प्रतिपूर्ति उसी के अनुरूप हो और हर बैंक में एक जैसी हो,

5. 'अग्रिम वेतन' को 'अग्रिम एरियर' में परिवर्तित कर सभी बैंकों में लागू हो, ताकि वसूली का भार न पड़े,

6. सभी बैंक पेंशनर्स को एक माह की पेंशन अनुग्रह राशि के रूप में दी जाए, ताकि वृद्ध पेंशनर्स को आर्थिक राहत मिल सके.

हमें आशा ही नहीं, विश्वास है कि उपरोक्त विषय विंदुओं पर गंभीरता सें विचार एवं समुचित निर्णय होगा, जिससे बैंककर्मियों में व्याप्त असंतोष और हताशा का अ़त होगा, एक अच्छा कार्यकारी वातावरण का निर्माण होगा.

सादर साभिवादन के साथ,

(जे.एन.शुक्ला)
राष्ट्रीय कंवेनर
17.4.2020

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