Tuesday, October 8, 2019

Conspiracy Of UFBU and IBA

Message copied from facebook  and posted here.  This message is from vertern  trade union leader  Sri Kamlesh  Chaturvedi.
कहने में यह बात अप्रिय ज़रूर है लेकिन सच्चाई से भरपूर है कि बैंक कर्मियों के लिए भारतीय बैंक संघ और यूएफ़बीयू की घटक नौ यूनियनों के परस्पर सहयोग से चलने वाली मौजूदा द्विपक्षीय समझौते वाली व्यवस्था ही रावण है - यह अधर्म, असत्य और बुराई की जननी है -हम यह अप्रिय लगने वाली बात आलोचना के लिए आलोचना करने के उद्देश्य से नहीं कह रहे हैं बल्कि प्रमाण के साथ कह रहे हैं जिसकी पुष्टि देश की सबसे बड़ी अदालत माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी की है ।

 बैंक कर्मियों ख़ास तौर पर अपनी अपनी यूनियनों के प्रति निष्ठावान और समर्पित श्रमिक संघ कार्यकर्ताओं में चेतना और जागृति लाने और उन्हें सत्य से परिचित करवाने के उद्देश्य से वी बैंकर्स ने वास्तविकता का उल्लेख अपने 51 पृष्ठ के हड़ताल के नोटिस में किया है । हमारे हड़ताल के नोटिस के पेज 15 के पैरा 32 और 33 को ध्यान से पढ़िए और फिर इसकी सच्चाई को परखने के लिए गूगल गुरु की शरण में जाइए ।

माननीय उच्चतम न्यायालय ने  बैंक ऑफ़ बड़ौदा बनाम जी पिलानी के मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि चार अधिकारी संघठनों और भारतीय बैंक संघ के बीच हस्ताक्षरित Joint Note अवैध है -5 कर्मकार यूनियनों द्वारा हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौते के बारे में माननीय उच्चतम न्यायालय का कहना है कि यह पेंसन रेग्युलेशन, 1995 का उल्लंघन है ।

 बैंक ऑफ़ बड़ौदा बनाम एस॰के॰ कूल के मामले में पहले माननीय उच्च न्यायालय ने प्रश्न किया Will it not be a fraud Bipartite Settlement? फिर ख़ुद ही उत्तर दिया है Obviously it would be.

भला द्विपक्षीय समझौते को फ़्रॉड की उपाधि से नवाज़ देने से बड़ी भी कोई प्रतिक्रिया हो सकती है ?

यह प्रतिक्रिया कोई वी बैंकर्स ने व्यक्त नहीं की है देश की सबसे बड़ी अदालत ने व्यक्त की है -अब भला देश की सबसे बड़ी अदालत द्वारा अपने आदेश में चारों अधिकारी संघठनों द्वारा हस्ताक्षरित Joint Note और 5 कर्मकार यूनियनों द्वारा हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौते के बारे में यह प्रतिक्रिया व्यक्त कर देने के बाद भी बहस की कोई गुंजाइश रह जाती है ?

AIBOC के बहुत सारे भक्त और समर्थक हैं -उनके ज्ञान चक्षु खोलने के लिए हम आईबीए द्वारा स्वर्गीय एस॰के॰कूल के निर्णय के बाद जारी स्पष्टीकरण की प्रति प्रस्तुत कर रहे हैं -ध्यान से पढ़िए अंतिम पंक्ति -आईबीए कह रही है कि केवल कर्मकारों के लिए पेंसन रेग्युलेशन 22 संशोधित किया जाएगा-अधिकारियों के लिए क्यों नहीं किया जाएगा ?

पेंसन रेग्युलेशन तो अधिकारी और कर्मचारियों पर समान रूप से लागू है फिर एक समान परिस्थितियों में अधिकारियों और कर्मचारियों में विभेद क्यों ?

यह स्पष्टीकरण 30 जून 2015 को आईबीए ने जारी किया था -चार वर्ष से ऊपर की अवधि में इसके ख़िलाफ़ AIBOC ने क्या किया है ?

अनगिनत अधिकारी जो इस मनमानीपूर्ण उच्चतम न्यायालय के निर्णय की आईबीए द्वारा की गई व्याख्या और स्पष्टीकरण से उपजे अन्याय का शिकार हो कर विभिन्न न्यायालयों में न्याय की प्राप्ति हेतु लाखों ख़र्च कर सालों से प्रयास कर रहे हैं -उनके मानसिक उत्पीड़न और अनावश्यक धन की बरबादी का दोषी कौन है ?

अधिकारियों के हितों की सजग प्रहरी होने का झूठा दावा करने वाली AIBOC न या फिर और कोई ?

कितना हास्यास्पद और भद्दा मज़ाक़ है कि उच्चतम न्यायालय से भी बड़ा न्यायालय अपने आप को मानते हुए उसके आदेश की मनमानी व्याख्या करने वाली आईबीए 30 सितम्बर के अपने परिपत्र में बेशर्मी के साथ छाती ठोंक कर सीना चौड़ा कर दस लाख बैंक कर्मियों की ग़ैरत को ललकारते हुए कह रही है कि हम तो अपनी भूमिका को इसी तरह निभाएँगे और तुम हमें याचिका, शिकायत, विवाद आदि के ज़रिए चुनौती नहीं दे सकते पक्षकार नहीं बना सकते ।

देश की क़ानून व्यवस्था को बेशर्मी और बेबाक़ी के साथ धूर्ततापूर्ण चुनौती देने और उसका उपहास उड़ाने का यह साहस किसने दिया है ?

उन्हीं नौ संघठनों ने जिनके तुम सदस्य हो, जो अभी 15 अक्टूबर को कटोरा लेकर तुम्हारे मान और सम्मान का सौदा करने आईबीए की शरण में जाएँगे, उसे क़ानूनी मान्यता प्रदान करने में सहमति जताएँगे और तुम ख़ुद उनकी बिना लिखित मिनट्स वाले झूठ को साझा करोगे -प्रमाण के साथ प्रस्तुत हमारा सच उनके झूठ के आगे बौना साबित होगा ।

बात चाहे पेंसन लाभ के नाम पर बैंक कर्मचारियों के अलग अलग वर्ग बना कर उनकी एकता को तार तार करने की हो, 01.04.2010 और उसके बाद आए युवा बैंक कर्मियों को पेंसन फ़ण्ड के लाभ से वंचित किए जाने की हो, पेंसन और अन्य सेवा निवृत्त लाभ हेतु वेतन की परिभाषा के मामले में ग्रामीण बैंक के कर्मचारियों की तुलना में महँगाई भत्ता शामिल न किए जाने की हो या फिर 30 वर्ष की सेवा के बाद 45 दिन की जगह मात्र 15 दिन के वेतन की गड़ना की, बर्खास्त किए गए कर्मचारी के पेंसन फ़ण्ड को हड़प लेने की, नौवें द्विपक्षीय समझौते में क्लर्क पदनाम परिवर्तित कर नाम मात्र के विशेष वेतन पर SWO-बी पद सृजित कर उसके ऊपर तत्कालीन क्लर्क, विशेष सहायक, प्रधान रोकड़िया के कार्य लाद देने की, आरबीआई के मास्टर सरकुलर के निर्देश को दरकिनार कर ग्राहक सेवा को 4 बजे तक करने की, बिना किसी वैज्ञानिक और तर्कपूर्ण फ़ोरमूले के मनमाने तरीक़े से कर्मचारियों की संख्या निर्धारित करने की, जाँच प्रक्रिया में निर्दोष साबित होने के बावजूद नौकरी से निकाले जाने की स्वीकृति द्विपक्षीय समझौते के ज़रिए दिए जाने की, आठवें समझौते के पैरा 31 के ज़रिए थर्ड पार्टी प्रोडक्ट बेचे जाने के लिए राज़ी हो जाने की -और भी मुद्दे हैं -एक अन्तहींन सिलसिला है वर्तमान व्यवथा के ज़रिए अन्याय, अधर्म और बुराई के ज़रिए बैंक कर्मियों को उत्पीड़ित करने का, उनके दैनिक जीवन को नारकीय बना देने का ।

कोई सन्देह रह जाता है ?

हम जानते है वी बैंकर्स द्वारा सत्य को उद्घाटित कर देने के बाद भी प्रमाण के साथ प्रस्तुत कर देने के बाद भी तताकथित विद्वान वी बैंकर्स का और उसके आन्दोलन का उपहास उड़ाएँगे, उसके आन्दोलन में शामिल होने से कतराएँगे -सच्चाई को दरकिनार कर मौजूदा यूनियनों का गुणगान करेंगे, उनकी एक दो दिन की हड़ताल में शामिल हो कर अपना वेतन कटवाएँगे, वी बैंकर्स की अनिश्चितक़ालीन हड़ताल का उपहास उड़ाएँगे, उनके नेताओं की शान में लाल सलाम के नारे लगाएँगे लेकिन वी बैंकर्स के रणबाँकुरों का मज़ाक़ उड़ाएँगे ।

और तो और वी बैंकर्स के 3-4 स्वयं भू संस्थापक जो सीपीसी सीपीसी चिल्लाते हैं, वे भी अपने अपरिपक्व आचरण से सच्चाई को बैंक कर्मियों तक पहुँचने से रोकने का हर सम्भव जतन करेंगे, हम सबके प्रयास से 2 लाख 34 हज़ार वाले वी बैंकर्स के ग्रूप पर अनधिकृत तरीक़े से क़ाबिज़ हो कर आंदोलन से सम्बंधित जानकारी को ग्रूप में जाने से रोकेंगे, लोगों को निकालने और ब्लाक करने का खेल खेलेंगे, उद्देश्य से ध्यान हटाने के लिए अनर्गल विवाद पैदा करेंगे -फिर भी हमें विश्वास है कि आम बैंक कर्मी हमारी आवाज़ को ज़्यादा से ज़्यादा बैंक कर्मियों तक पहुँचाएँगे ।

दशहरे के पावन पर आपको अपनी नीर क्षीर विवेकी बुद्धि से फ़ैसला लेना है कि आप अन्याय, अधर्म और बुराई के प्रतीक भारतीय बैंक संघठन और नौ संघठनों के गटबंधन से बने रावण के साथ हैं या फिर सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना के लिए निरन्तर संघर्षरत वी बैंकर्स रूपी राम जी के साथ -आपका फ़ैसला सर माथे पर ।




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