Thursday, April 6, 2023

सदा स्वस्थ्य , उर्जावान और हॉस्पिटल Doctors के चक्करों से दूर रहेंगे

 आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है ! इस अवसर पर अगर आप कुछ बातों को अपने जीवन का अंग बना लेंगे तो सदा स्वस्थ्य , उर्जावान और हॉस्पिटल Doctors के चक्करों से दूर रहेंगे ! 

आज इस दिवस पर प्रण लीजिये कि यह सब बातें आप अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे और इसको अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेंगे  :


1. यह शरीर पञ्च महाभूत से बना है ! अग्नि , जल , वायु , आकाश और पृथ्वी ! 

इन पाँचों से निरंतर सम्पर्क बनाए रखिये , आपको कभी भी कोई डॉक्टर मुर्ख नहीं बना सकता ! 


2. Chemical दवाईयों को अपने जीवन और घरों से निकाल बाहर कर दीजिये ! ठीक है आपको आदत डलवा दी गयी है , लेकिन धीरे धीरे करके इसका सेवन कम कर दीजिये और इनको अपने स्वास्थ्य के शत्रु की मानिंद देखें ! Painkiller , सर्दी या बुखार की दवाईयों का सेवन बिलकुल भी न करें ! 


3. अपने जीभ के चटोरेपन को नियंत्रित करें ! भक्ष्य और अभक्ष्य का ध्यान अवश्य दें ! अपने शरीर को मंदिर की भांति मानकर , उसमें शुद्ध तत्वों के ही प्रवेश की आज्ञा दें ! 

यह ध्यान रखें आपका शरीर कूड़ाघर या मुर्दाघर नहीं है , आपका शरीर आपका वह घर है जहाँ आप रहते हैं , आप निवास करते हैं ! इस घर में गंदगी न मचने दें ! 


4. बाहर का भोजन बिलकुल त्याग दें ! बहुत ही विषम परिस्थिति  बन जाए तभी बाहर का भोजन करें ! बाहर का भोजन विष्ठा के समान समझें ! 

बाहर का भोजन जितना स्वादिष्ट होगा , वह उतना ही आपके घर या शरीर में दुर्गन्धि पैदा करेगा ! एकमात्र अपने ही घर का भोजन करें ! 


हो सकता है लोग आपको भेदभाव वाला कहें , उनको कहने दीजिये , कहने वाले हॉस्पिटल में 20 लाख रूपये देकर सड़कर मरेंगे , पर यही आपके लाखों रुपयों की बचत होगी ! 


5. प्रतिदिन स्नान करें ! प्रतिदिन स्नान करने से शरीर के रोमछिद्र खुले रहते हैं जिससे वातावरण से भी ग्रहण करने की क्षमता विकसित होती है ! प्रतिदिन स्नान करने से कुरूप से कुरूप व्यक्ति के शरीर में भी तेज आता है ! 

स्वच्छता का विशेष ध्यान दें ! 


6. अपने रसोईघर को मंदिर के समान मानें ! बिना स्नान किये वहाँ कोई भोजन न पकायें ! भोजन पकाना यज्ञ के समान है , उस यज्ञ में अगर गलती करेंगे तो उसका दंड शरीर को ही भोगना पड़ेगा । 


7. आपके और आपके घरवालों के अलावा आपके रसोईघर में किसी अन्य का प्रवेश नहीं होना चाहिए !  चाहे कोई भी हो ! 


8. सूर्योदय से पहले उठें और सुबह के बाल सूर्य की किरणों का लाभ लें ! 


9. अगर हो सके तो सूर्यास्त के बाद भोजन न करें ! 


10. दिन में मात्र दो बार ही भोजन करें और सुबह शाम अंकुरित अनाज , सलाद या दलिया का नाश्ता करें ! 

आपके दोनों अंजुली में जितना भोजन आ जाता है , बस वही शरीर के लिए पर्याप्त होता है ! 

इसके ऊपर अगर आप भोजन करते हैं , तो वह रोग , Fats के माध्यम से शरीर में जमा होता है ! 

जो बहुत ही ज्यादा शारीरिक श्रम करते हैं , वह तीन बार भोजन कर सकते हैं ! 


11. खाने पीने का नियम संयम बनायें ! ऐसा नहीं कि जब जो मिला वह मुँह में डाल लिया ! शरीर का एक Biological Clock होता है जो ग्रह नक्षत्रों के किरणों से प्रभावित होता है ! Gastric Juices से लेकर Hormones का उत्सर्जन अपने Biological क्लॉक के अनुसार होता है ! 

कभी भी पेट में भोजन डालने से शरीर को अलग से अपनी उर्जा लगानी होती है ! जो उर्जा उस समय वह किसी अन्य अंग या कार्य के लिए लगा रहा होगा , उस उर्जा को उसे पेट में भेजना पड़ जाता है , जिससे शरीर का स्वास्थ्य तंत्र प्रभावित होता है और बाद में यही रोग बन बन कर निकलता है ! 

फिर आप बाद में रोते रहे कि हमने कभी उल्टा सीधा नहीं खाया , फिर यह कैंसर कैसे , फिर यह अमुक रोग कैसे ?? 


जैसे मंदिर खुलने और बंद होने , आरति के एक निर्धारित  समय होता है  , ठीक उसी तरह आपके शरीर रुपी मंदिर का भी एक नियम और समय निर्धारित करें ! 


12. घर के सभी कार्य स्वयं करें ! नौकर या नौकरानी वाला रोग पालना बंद कर दें , आपके घर से स्वतः ही कई बीमारियाँ उसी दिन चली जायेंगी ! 


13. Air conditioner का प्रयोग न करें या कम से कम करें ! यह आपके शरीर के प्रणाली को ध्वस्त करता है ! प्रत्येक ऋतु में शरीर अपने अनुसार कुछ Biochemicals या BioHormones का secretion करता है जो शरीर के स्वास्थ्य की रक्षा करता है ! यह एक प्रकार का प्राकृतिक doctors की तरह शरीर में कार्य करते हैं ! उचित ऋतु का प्रभाव न मिलने पर उनका Secretion Inhibit होता है या रुक जाता है जिसके कारण शरीर रोगों का घर बनने लगता है ! 


14. सप्ताह में एक बार पथरीली , कंकरीली भूमि पर अवश्य चलें ! पैरों में पत्थर , कंकड़ चुभने दें , यह Accupressure का कार्य करते हैं ! यह नियम बना लें ! 


15. Packet में बंद खाद्य पदार्थों का उपयोग बिलकुल बंद कर दें ! आटा , मसाले इत्यादि स्वयं चक्की पर से पिसवायें ! 


16. Hybrid फल सब्जियों का पुर्णतः परित्याग कर दें ! उन्हें शत्रु की मानिंद देखें ! देसी सब्जियां और फलों का ही सेवन करें ! 


17. Refrigerator का पानी पीना बिलकुल बंद कर दें ! मिट्टी का घडा ले लें और उसी का पानी पीयें ! 


18. मेथी , अजवाईन , सौंफ , पान , नींबू, धनिया , पुदीना , पीपली , अदरक , हर्र , हल्दी इत्यादि को अपने जीवन चर्या में शामिल करें ! 


19. अपने आसपास पेड़ पौधों पर नज़र रखें ! कभी नीम , कभी जामुन , कभी अनार , कभी आम , कभी पीपल , बरगद , अर्जुन , करी पत्ता , पपीता , अनार , नींबू इत्यादि जो भी दिखे , उसके कोमल पत्तियों को लेकर काढा बनाकर अवश्य पीयें ! प्रत्येक रोग का निदान किसी न किसी पेड़ पौधे के पास ही है ! 


20. अपने आसपास के उगे पौधों के विषय में जानकारी रखिये ! दूब की घास से लेकर तमाम पौधों की पत्तियों का अर्क निकाल कर समय समय पर सेवन करते रहिये ! 


21. मौसमी फलों का सेवन ऋतु के अनुसार अवश्य करें ! जिस भी ऋतु का जो फल या सब्जी उपलब्ध हो , उसे खूब खाएं ! 

पर यह भी ध्यान रखें कि बिना मौसम या बिना ऋतु के आये फलों या सब्जियों का सेवन भूल कर भी मत करें ! जैसे आम ठंडियो में बिलकुल न खाएं चाहे कोई गले पर चाक़ू तक रख दे ! 


22. सप्ताह में एक बार अपने पैरों को गीली मिट्टी में डालकर कुछ समय तक रखें ! गीली मिट्टी में एक वशेष प्रकार का गुण होता है जो हाथों के तलुवे और पैरों के तलुवों से Toxic तत्वों को खींच लेता है ! Its Kind of Detoxification. 


23. पानी को न ज्यादा पीयें न ही कम पीयें ! उचित संतुलन से और समयानुसार ही जल का सेवन करें ! 


24. ध्यान करें जिसमें आप अपने मन से या सूक्ष्म शरीर से  हर अंगों में जाएँ और उसमें भगवान् सूर्य के तेज को रूपित कर उस अंग के cells से लेकर उसके अंदर तक के DNA तक को उनकी उर्जा से भरकर उसका Detoxification करें , उनके तेज से उस प्रत्येक cells के विजातीय तत्व को नष्ट करें ! ( इस ध्यान प्रक्रिया पर  विस्तार से मेरी आने वाली पुस्तक में या किसी अन्य पोस्ट के माध्यम से ) 


25. अपने श्वासों को नियंत्रित रखें ! श्वांस ही आपके शरीर की उर्जा के संवाहक हैं ! श्वाँस की गति से ही यह पता चलता है कि आप भय , विषाद , काम , क्रोध या किसी भी भाव में है ! इसी श्वाँस के संचालन और गति के माध्यम से नाड़ी चलती है  जिसे वैद्य देखकर अमुक रोग बता देते हैं ! तो इसको नियंत्रित अवश्य रखें और इसकी गति पर ध्यान दें !  ( यहाँ विस्तार से नहीं बता सकता  ) 


बाकी का सार यह है कि पञ्च तत्वों के संपर्क में नियमित रहें और भक्ष्य अभक्ष्य का ध्यान रखकर नियम संयम से जीवन यापन करें ! Doctor क्या Doctor का भ्रूण तक आपके पास नहीं फटकेगा ! 


वैसे तो बहुत कुछ है लेकिन अगर आप इन कुछ सामान्य बिन्दुओं में से मात्र 10 को भी अपने जीवन का अंग बना लेंगे तो Doctor आपका चेहरा देखने के लिए तरसेंगे और Hospitals अपना व्यापार समेटकर वापस European देश चले जायेंगे ! 


धन्यवाद 


- Shwetabh Pathak  ( श्वेताभ पाठक )

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