Monday, February 17, 2020

Meeting With Finance Minister

ALL INDIA BANK RETIREES FEDERATION (REGD.)
                                                             
Ref. 2020/071 DT.17.02.2020                                                                                                                                                                                          To,
The Office Bearers/ Central Committee Members/ State Committee Chiefs
A.I.B.R.F

Dear Comrades,
   Ref : Actions taken on Retiree issues by AIBRF & other developments on 17.02.2020

AIBRF DELEGATION MET HON.FINANCE MINISTER SMT.NIRMALA SITARAMAN IN BANAGLORE ON 17.02.2020.

   We are very happy to inform that AIBRF delegation from Women Wing Karnataka State Committee met Hon. Finance Minister Smt. Nirmala Sitaraman in Bangalore on 17.02.2020 to make appeal to her to resolve long pending issues of Bank Retirees in particular pension updation. She was kind enough to give appointment to our delegation at very short notice and despite her very busy and tight schedule in Bangalore. She was very positive and sympathetic on the demand of updation and assured that necessary steps will be taken to resolve it. She gave direction to the officials present in the meeting including the Finance Secretary who was also present there  to take steps to resolve this issue in time bound manner.

      We are grateful to Hon.Member of Parliament from Bangalore( North) Shri. Surya Tejaswi who helped us to secure appointment with the FM at very short notice and convey our profound thanks to him.We also convey our profound  thanks to the women wing , Karnataka State Committee in particular  women delegates who were part of the delegation who presented Retiree issues in very effective manner. We also convey our thanks to the team of the State Committee in particular General Secretary Comrade Vishwanath Naik who helped in co ordinating the programme.

     It is really very significant step in the direction of resolution of important demand of updation through continuous organisational efforts.


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     AIBRF delegation meeting UFBU Constituents in Delhi on 17.2.2020:
        AIBRF delegation from Delhi consisting of AIBRF office Bearers met Shri.Upender Kumar, Gen.Secretary NOBW and Shri.Hazarilal Meena, President NOBO, on 17.02.2020 and handed over memorandum to them  pending demands of Retirees  who assured to give support of their organisation during the negotiation.

     Developments at CLC Meeting held at Delhi on 17.02.2020:
      As per the opinion given by CLC in the meeting held today , Parties to the settlement have agreed to hold further rounds of discussion to resolve all pending issues.
   Next conciliation meeting will be held on 05.03.2020.

With Respectful Regards                                                            Yours Sincerely.
S.C.JAIN
GEN.SECRETARY
AIBRF

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सवाल  तो 'समस्याओं' का है,
उठाने का 'ढंग' अलग-अलग है!

पर, उठाने के 'ढंग' को गलत कह,
समस्याओं को या उसे उठानेवालों को
गलत, यूनियन विरोधी
और अनुशासनहीन कह कर
खारिज नहीं किया जा सकता !!

समस्यायें किसकी हैं, और
उसे उठाने वाले कौन हैं??

सीधे विषय पर आते हैं. ये 4.5 लाख बैंक पेंशनर कौन हैं? क्या इसमें कोई संदेह है कि ये 9 बैंक यूनियनों से संबंध रखते हैं? जब ये पेंशनर नौकरी में थे तो वे इन यूनियनों के हीरावल दस्ता कहलाते थे. यह दूसरी बात है कि आज ये अजनवी की तयह देखे जाते हैं. अब हम समस्याओं पर गौर करें. पेन/फेमिली पेंशन और स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा दो मुख्य समस्याएं हैं. दोनों नीतियों का निर्धारण यूनियनों ने बैंकों के साथ समझौता कर किया है. अत: आज ये नीतियां बैंक पेंशनरो की समस्या की जड़ बनी हुई हैं और ऐसे में वे अपनी मुसीबतों को कहते हैं, जो स्वाभाविक तौर पर तकलीफ और गुस्से से सनी हैं, यूनियन नेताओं को उनके प्रति रुष्ट, अनुदार और संगदिल नहीं होना चाहिए. बल्कि, उन्हें इस परणति को इस नजरिए से देखना-समझना चाहिए जहां परिवार का वयोवृद्ध मुखिया अपनी अनदेखी और अभाव पर अपने ही पुत्रो, पोतों को श्राप देता है, भला बुरा कहता है. नेताओं को इन दुखी पेंशनरों से अपनी प्रसंशा, माला-फूल से स्वागत की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. पेंशनर का श्राप देना, उनका गाली देना, कड़े शब्दों में निंदा करना सही है. आर्थिक दबाव, बीमारी, वंचना और पेंशन रिवीजन के अधिकार व स्वास्थ्य सुरक्षा से वंचित पेंशनरों से यूनियन नेताओं को उनके स्वागत में हरिभजन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. उम्मीद करता हूं, बैंक पेंशनरों के रोष को यूनियन नेता सही परिपेक्ष्य में बिना दुर्भाव से ले और उनके साथ न्याय करें, जिससे वे वर्षों से वंचित रखे गये हैं और जिसके लिए शिर्फ और शिर्फ वही जिम्मेदार हैं, और कोई नहीं.

यूनियनों ने एक और बहुत बड़ी गल्ती की. सेवा निवृत्ति के बाद पेंशनरों को अपनी यूनियन से निकाल दिया. अच्छा होता, उन्हे यूनियनों में बनाये रखा जाता, उनका चंदा आधा कर दिया जाता, क्योंकि पेंशनर होने के नाते वे अपनी अपनी बैंकों के साथ आज भी वे अनुबंधीय रिस्ता रखते हैं. इससे आज की वल्नरेबल स्थिति से बचा जा सकता था, जहां सैकड़ों यूनियनेंं और ग्रुप बन गये हैं, जो चंदा वसूली कर रहे हैं और अपेक्षित परिणाम न आने से ट्रेड यूनियन के संस्थागत स्वरूप की पवित्रता और विश्वशनीयता पर चोट हो रही है. पिछली हड़ताल में 39% भीड़ पेंशनरों की थी. इसके पहले एबाक के दिल्ली धरने में 40% पेंशनर की भीड़ थी. बदली स्थिति और परिस्थितियों में पेंशधरों को यूनियनों के साथ बनाये रखना उनकी एक बड़ी ताकत होती, लेकिन यूनियनों ने पेंशनरों से किनारा ही नहीं कसा, बल्कि रद्दी की टोकरी में डाल कर मुक्ति पा लिया.  पूरी बैंकिंग फ्रैटर्निटी झुलस रही है. वस्तुतः यूनियनें अपने इर्द-गिर्द पेंशनरों को भिखारी की तरह देखना चाहती थी. देखो, आज वही चरितार्थ है!

सच को लेकर किसी ने निम्नवत कहा:

" सत्य कड़वा होता है. सही बात कहने और सुनने, दोनों, में मुश्किल होती है. पता नहीं, फिर भी मन कहता है सही बात कहो और सही बात सुनों भी... और इस बात की परवाह मत करो कि किसने बुरा या किसने भला कहा, और तुम्हारी बात किसे बुरी लग रही है या किसे मुश्किल हो रही है. जो कहते हो, वह सच कहो, सुनिश्चित करो कि स्वांतः सुखाय और सर्वहिताय कहते हो. जो कहते हो या करते हो वह बिना किसी राग-द्वेष के है. सच्चाई को लेकर दुबिधा मत पालो. सच्चाई पर टिके रहकर ही, झूठ को पीछे ढकेला जा सकता है, परास्त किया जा सकता है. सत्य को स्थापित करने में संघर्षों का लंबा इतिहास है. पर, बावजूद बाधाओं और दुस्वारियों के सत्य कभी परास्त नहीं हुआ. अकेले हो, ऐसा कैसे सोच लिया? झूठों के दिल के कोने में भी सच्चाई की एक जगह होती है. वह तुम्हारे लिए है. तुम्हारे इर्द-गिर्द जो लोग हैं, वे सब झूठे नहीं. पर, झूंठ से इतने त्रस्त हैं कि वे तुम्हारी सच्चाई पर भी विश्वास करने में हिचकते हैं. बस उनका विश्वास जीतो, सत्य जीत जायेगा." - अज्ञात


J. N. Shukla
National Convenor,
Forum of Bank Pensioner Activists
Prayagraj
17.2.2020

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