वी बैंकर्स ने मध्यस्थता कार्यवाही की शुरुआत में भारतीय बैंक संघ द्वारा 30 सितम्बर 2019 की प्रति प्रस्तुत करते हुए सवाल किया कि जब स्वयं आईबीए ने अपनी वैधानिक स्थिति स्पष्ट कर दी है फिर भी आख़िर किस आधार पर यूनाइटेड फ़ोरम ऑफ़ बैंक यूनियंस द्वारा वार्ता और समझौता हेतु मान्यता दी जा रही है ? वी बैंकर्स ने आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि जो प्रतिनिधि बैंक कर्मियों की ओर से वार्ता में भाग ले रहे हैं, वे चुने हुए प्रांतनिधि नहीं हैं । इस पर उपमुख्य श्रमायुक्त ने यह मुद्दे जब वित्तीय सेवा प्रभाग के प्रतिनिधि भाग लें तब उनके सामने उठाने की सलाह दी । उपमुख्यश्रमायुक्त द्वारा हड़ताल की नोटिस के बाद हुए घटनाक्रमों की जानकारी माँगी गई जो उन्हें दी गई । उपमुख्यश्रमायुक्त द्वारा बैंकिंग को सार्वजनिक उपयोगिता का उद्योग घोषित किए जाने के मद्देनज़र वी बैंकर्स से हड़ताल का नोटिस और निर्णय वापिस लिए जाने का अनुरोध किया गया जिसे वी बैंकर्स ने यह कह कर ठुकरा दिया कि उसने यह निर्णय अपने सभी घटकों की सहमति से लिया है - साथ ही यह भी कहा कि यदि सरकार की ओर से उसकी माँगों को माने जाने का कोई स्पष्ट लिखित आश्वासन मिलने पर वह हड़ताल के निर्णय पर पुनर्विचार कर सकते हैं । वी बैंकर्स की आपत्तियों और माँगों पर भारतीय बैंक संघ के प्रतिनिधि द्वारा स्पष्ट उत्तर न देने व तकनीकी आपत्ति उठाने पर माँग की गई कि अगली कार्यवाही में भारतीय बैंक संघ के किसी उच्च पदाधिकारी को बुलाया जाए जिसे संज्ञान में लेते हुए उप-मुख्य श्रमायुक्त (केन्द्रीय) द्वारा अगली कार्यवाही में किसी उच्च पदाधिकारी के शामिल होने सम्बंधी निर्देश देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 4 दिसम्बर निर्धारित की गई ।
आशीष मिश्रा
यूनाइटेड फ़ोरम ऑफ़ वी बैंकर्स
Next meet decembar.
ReplyDeleteJaise 1 month nehi lunch ke bad ane bola...