Friday, October 18, 2019

Today's Meeting Between IBA and UFBU

United Front of Bank Unions tweet following Message.


In today's talks with IBA we raised the following issues for taking decision.

Early settlement, increase in their offer, merger of spl allowance into basic pay,
5 day week,  improvement in family pension,
updation of pension,
NPS at 14%,
PLI modalities ,
Reduction in premium on medical insurance  for retirees,  etc.

It was decided to clinch these issues at the earliest. Detailed circular follows.
-CHV AIBEA..



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Another message from We Bankers group is as followsहास लिखने की तरफ़ बढ़ते वी बैंकर्स के क़दम

हमें आप सबको यह बताते हुए ख़ुशी है कि आज वी बैंकर्स ने ऐन वक़्त पर कार्यवाही करते हुए आईबीए और यूएफ़बीयू के उन मंसूबों पर पानी फेर दिया जिसके अनुसार इन दोनों ने वी बैंकर्स की हड़ताल की सूचना पर कोई कार्यवाही शुरू होने से पहले ही 14.5% वेतन वृद्धि हेतु आज सहमति पर हस्ताक्षर किए जाने का जाल बुना था । कल देर रात तक प्रयास करने के बावजूद असफल रह जाने पर भी बिना निराश और हताश हुए आज सबेरे से हमने अपने प्रयास उसी जगह से शुरू किए जहाँ कल समाप्त किए थे और अंतत: उप-मुख्य केन्द्रीय श्रमायुक्त, भारत सरकार, श्रम एवं नियोजन मन्त्रालय से भारतीय बैंक संघ, यूएफ़बीयू के समस्त घटक संघठनों और वित्त मन्त्रालय के वित्तीय सेवा प्रभाग को नोटिस जारी करवाने में वी बैंकर्स ने सफलता प्राप्त कर ही ली । नोटिस को लगभग 11.20 पर ईमेल से भिजवाने के बाद आज 11.51 मिनट पर वी बैंकर्स ने आईबीए और यूएफ़बीयू को नोटिस जारी किए जाने की सूचना देते हुए उन्हें आगाह कर दिया कि वे औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 33 के प्रावधानों का अनुपालन करते हुए यथा-स्थिति बनाए रखें और लम्बित कार्यवाही के दौरान किसी भी आम सहमति अथवा समझौते पर हस्ताक्षर करने से परहेज़ करें और इस तरह यूएफ़बीयू द्वारा आज 14.5% वेतन वृद्धि पर हस्ताक्षर करने के मंसूबे धरे के धरे रह गए ।

इस तरह आज एक सोची समझी रणनीति के अनुसार समता और बराबरी हांसिल करने की मंज़िल की ओर बढ़ते हुए वी बैंकर्स ने एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पड़ाव को हांसिल कर लिया है -उप-मुख्य केन्द्रीय श्रमायुक्त, भारत सरकार, श्रम एवं नियोजन मन्त्रालय ने भारतीय बैंक संघ, यूएफ़बीयू के समस्त घटक संघठनों और वित्त मन्त्रालय के वित्तीय सेवा प्रभाग को नोटिस जारी करते हुए वी बैंकर्स के स्टेटमेंट ऑफ़ केस पर अपनी अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए 6 नवम्बर 2019 को अपराहन 3 बजे अपने कार्यालय में तलब कर लिया है ।

यह कोई साधारण सफलता नहीं है जिसे वी बैंकर्स ने विपरीत परिस्थितियों और झंझवातों का सामना करते हुए यूएफ़बीयू के हर तरह के हथियारों से सुसज्जित अत्यन्त प्रभावशाली नेताओं द्वारा अपनाए गए हर तरह के हथकंडों को विफल करते हुए हांसिल कर दिखाया है । अब जहाँ आईबीए को यह प्रमाणित करना होगा कि जो कुछ उसने अपने 30 सितम्बर के प्रपत्र में स्वीकार किया है, उसके बावजूद वह किस अधिकार से नियोक्ता बैंकों का प्रतिनिधित्व करते हुए द्विपक्षीय समझौते हेतु वार्ता आयोजित करती रही है, उच्च और उच्चतम न्यायालय के आदेशों की मीमांशा करते हुए अर्थ का अनर्थ कर बैंकों को निर्देश देती रही है वहीं यूएफ़बीयू के घटक संघठनों को यह साबित करना होगा कि आख़िर उनकी वह कौन सी मजबूरी रही है जिसके चलते उन्होंने भारतीय श्रम सम्मेलन, वेतन आयोग, शास्त्री और देसाई अवार्ड द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों को ताक पर रख कर आख़िर क्यों उन्होंने सामूहिक सौदागरी के सिद्धांत के अन्तर्गत उभयपक्षीय वार्ताओं के ज़रिए होने वाले समझौतों के लिए भुगतान क्षमता और लाभ को आधार बनाना स्वीकार कर लिया ?

आज की इस शानदार सफलता के लिए वी बैंकर्स के हर उस रणबाँकुरे और आम बैंक कर्मी को हमारा क्रांतिकारी सलाम जो पूरी निष्ठा, समर्पण और बहादुरी के साथ वी बैंकर्स के अभियान से जुड़ कर हमारे लिए प्रेरणा का काम कर रहे हैं ।






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