आदरणीय बैंकों में सेवारत एवम् सेवा निवृत्त साथियों,
सादर एवम् विनम्र प्रणाम।
प्रिय बंधुओ, आज यह संदेश ना कुंठा, ना आलोचना, ना किसी पूर्वाग्रह या दुराग्रह, आदि प्रभावित हो कर लिख रहा हूं, हमारे इस प्रयास को एकता की भावना से प्रेरित होकर लिखा माना जाना चाहिए।
मुझे ऐसा प्रतीत एवम् अनुभव होता है कि शायद का0 H L परवाना बैंक कर्मचारियों की एकता के लिए ही इस धरती पर अवतरित हुए थे तथा कोई ईश्वरीय शक्ति का उन्हें वरदान प्राप्त था। उनके जाने के पश्चात अपनी अपनी महत्वाकांक्षा के चलते हम विघटन और विखंडन की राह पर चल पड़े।
हम नारे अवश्य एकता के लगाते रहे, संगठन की शक्ति के गीत गाते रहे लेकिन कार्य विघटन और विखंडन के करते रहे। सबसे पहले हमने सेवारत कर्मचारियों को अधिकारियों और कर्मचारियों में बांटा। फिर हमने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के चलते तथा राजनैतिक आस्थाओं, झुकाव और प्रतिबद्धताओं के चलते AITUC, CITU, CONGRESS, BMS के संगठन जैसे AIBEA, NCBE, BEFI और NOBW बैंकों में बना लिए।
अब जब लगभग पिछले बीस पच्चीस वर्षों से सेवानिवृत्ति बहुतायत में होनी लगी तो हमने सेवारत एवम् सेवानिवृत्त साथियों का वर्गीकरण कर डाला। इतना ही नहीं विभाजन और विखंडन का जुनून नेताओं पर इस कदर चढ़ा कि हमारे हृदय, संवेदना एवम् सरोकार ही बंट गए।
विखंडन एवम् विभाजन की प्रक्रिया यही नहीं रुकी, सेवा निवृत्त वृद्ध साथियों के कई कई संगठन बन गए तथा हम विभाजित होते चले गए। हम नारे एकता के अब भी लगा रहे हैं लेकिन अब हमारी एकता की सच्चाई सब के सामने आ गई। अब हमारी एकता में कोई शक्ति नहीं रह गई। परिणाम ये हुआ कि सेवारत कर्मचारियों की सेवा शर्तों में, वेतनों में सम्मानजनक नहीं सुधार हो रहा है द्विपक्षीय समझौतों के नाम सौदेबाजी हो रही है तथा नियमों द्वारा प्रदत्त लाभ भी सीमित किए जा रहे है। सेवा निवृत्त साथियों की तो बात ही कोई नहीं करना चाहता ना जानना चाहता कि इस वृद्ध आयु तथा मंहगाई के दौर अच्छे भोजन एवम् चिकित्सा सुविधा के अभाव में कैसे जीवन यापन ही रहा है।
लेकिन एक बात अवश्य है कि विभाजन और विखंडन की हमारी आदत सेवा निवृत्त कर्मचारी संगठनों में बदस्तूर बकरार है। राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवम् बैंकों के स्तर सेवा निवृत्त कर्मचारियों के संगठनों की भरमार है तथा नित्यप्रति नूतन संगठन बनाने की प्रक्रिया जारी है। सभी सेवा निवृत्त कर्मचारियों के हितों के लिए प्रयसरत हैं तथा हितैषी होने का दंभ भरते हैं।
साथियों सेवा निवृत्त साथियों में क्या सभी संगठनों को एकता के सूत्र में बांधने का एक गंभीर प्रयास नहीं होना चाहिए? क्या हम स्वयं के हितों की रक्षा हेतु अपने अहम थोड़े थोड़े छोड़ नहीं सकते? क्या केवल ही हम ही कर्मचारियों हितो के मात्र ध्वजवाहक हैं? क्या केवल हम ही सर्वोत्तम एवम् सबसे अधिक विश्वसनीय हैं? क्यों सभी सेवा निवृत्त साथी हमारे पीछे ही लामबंद हो जाएं?
क्या हम आप सब सेवा निवृत्त साथियों से सविनय निवेदन कर सकते हैं कि आइए हम सब एकता के प्रयास में गंभीरता से सहयोग करें। हम इस संदेश की प्रतिक्रिया के रूप में आपसे पसंद एवम् टिप्पणी की अपेक्षा ना करते हुए यह निवेदन करना चाहते है कि कम से कम आप अपने अपने बैंकों में चल रहे सेवा निवृत्त कर्मचारी संगठनों के नाम, उनके अध्यक्षों, महामंत्रियों के नाम दूरभाष नंबर टिप्पणी के रूप भेजे ताकि सबके साथ बैठकर एकता के सूत्र में पिरोने का प्रयास किया जा सके। हमें पदों की भूख नहीं, हम किसी के भी नेतृत्व में सेवा निवृत्त कर्मचारियों के हितों भाव की भावना से प्रभावित हो कार्य करने के लिए तैयार हो जाएं तो एकता में ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए, ऐसा हमारा विश्वास है।
हम किसी के नेतृत्व में कार्य करने को प्रतिबद्ध हैं
सुरेश चंद गांधी, कार्यकारी अध्यक्ष
जय शंकर भट्टाचार्जी, महासचिव 9312989833
रमेश चंद्र अग्रवाल, सह महासचिव
9810653207, 9899653207
राजेन्द्र कुमार रहेजा, संगठन सचिव
9310620375
UNITED BANK OF INDIA RETIRED OFFICERS & EMPLOYEES WELFARE COUNCIL: NEW DELHI.
Manmohanlal Gupta
16 mins
AIBRWA REGD IS PROUD OF EXTENDING FINANCIAL ASSISTANCE TO COMMON CAUSE CONSORTIUM FOR FILING WRIT PETITION BY THEM
In Kerala we are filing petitions for updating of pension on 3rd Sep and have already filed two for refund of 2.8 times pay and 56 percent of C P F. There are no loop holes for banks IBA to escape and evade. COMMON cause Consortium is filing them in individual names. Those who want to support can do so. We will conclude the issues in a period of six months with flying colours for our common benefit - C N Venugopalan Former Director (GOI Nominee) Erstwhile SBT& Ex-manager UBI 9447747994
Please drop your whats app phone no to take forward this step in a long way.
Retirees unity zindabad.
31.8.2018.
The R.B.I. Staff and Officers jointly staged the agitation demanding Updation of Pension which forced
the R.B.I.Governor to call the agitating employees for negotiation will be a lesson for the PSU Banks
authorities and the IBA-UFBU Combine. Surprisingly, the UFBU has not uttered a single word about the
retirees updation of Pension matter during Bipartite negotiations nor about the pre Nov.2002 retirees
100% D.A.neutralisation issue. For information of the retirees today,31.8.2018 Calcutta High Court
while delivering judgement on the W.B.State employees D.A. payment issue clarified that D.A. is the
right of the employees.
Debasish Mukherjee,
E.mail-mumburhi@rediffmail.com
Member-bankpensioner@googlegroups.com
9423009897
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