From unconfirmed sources it has come to my knowledge that The United Forum of Bank Unions (UFBU), an umbrella body of nine unions in the Indian banking sector, reportedly decided to strike work on March 15 to press for early finalisation of wage revision in banks, said a union leader........
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"The UFBU has decided to go on strike on March 15. The wage revision was due in November 2017. The union's have also charted out other protest programmes," All India Bank Employees' Association General Secretary C.H.Venkatachalam .
He said a decision to this effect was taken at the meeting of UFBU held in Mumbai on Tuesday.
PS: In my opinion this news need to be verified from reliable sources. Detailed circular may follow soon on this programme.
Between Trade union leader Sri Kamlesh Chaturvedi gives following comments on Facebook on news of strike
बैंक कर्मियों की ये कैसी मज़बूरी और लाचारी है ?
हमारे अपने ही नेताओं ने धर्म संकट की स्थिति पैदा कर दी है । युनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियन का 15 मार्च को एक दिन की हड़ताल का निर्णय एक कठिन निर्णय बन गया है क्यूंकि ये हड़ताल आम बैंक कर्मियों की प्रमुख मांग केंद्रीय सरकार और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों के बराबर वेतन दिए जाने के खिलाफ है.
एक ऐसे समय जब बैंक में नए भर्ती हुए नौजवानों का जोश और उत्साह नयी हिलोरें ले रहा हो और वो बैंक कर्मियों कि दयनीय स्तिथि से आजिज आ कर कुछ कर गुजरने की मंशा के साथ नेताओं से आर या पार के संघर्ष की मांग कर रहे हों, ट्विटर पर ट्वीट कर रहे हों, जब चुनाव सर पर हों और सरकार लगातार घट रही लोकप्रियता से चिंतित हो और इंडियन बैंक एसोसिएशन पर सरकार का दबाव डलवाने की बेहतर संभावनाएं हों तब बैंक कर्मियों की आशाओं और आकांक्षाओ के विपरीत बिना समता और बराबरी की माँग किए केवल शीघ्र वेतन समझौता किए जाने तक की मांग पर ही अपने आप को सीमित करके अनिश्चितकालीन हड़ताल के जरिये आर या पार कि लड़ाई का बिगुल न फूँक केवल एक दिन की हड़ताल का निर्णय आये हुए अवसर को गँवा देना ही कहा जाएगा. ऐसा निर्णय नए साथियों का यूनियन से मोह भंग कर सकता है और पहले से ही कमज़ोर हो चले श्रमिक संघ आंदोलन को और कमज़ोर कर सकता है.
ये वो परिस्थितियां हैं जिन्होंने धर्म संकट पैदा कर दिया. हड़ताल में शामिल होने का मतलब आम बैंक कर्मियों के सामान वेतन की मांग को तिलांजलि देना और हड़ताल में भाग न लेने का मतलब आई बी ए और सरकार की निगाह में एकता के विखंडित होने का सन्देश देना. वी बैंकर्स को खूब सोचने समझने और विचार मंथन करने के बाद ही हड़ताल के समर्थन या विरोध करने का निर्णय लिए जाने की ज़रूरत है ।
PS: In my opinion this news need to be verified from reliable sources. Detailed circular may follow soon on this programme.
Between Trade union leader Sri Kamlesh Chaturvedi gives following comments on Facebook on news of strike
बैंक कर्मियों की ये कैसी मज़बूरी और लाचारी है ?
हमारे अपने ही नेताओं ने धर्म संकट की स्थिति पैदा कर दी है । युनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियन का 15 मार्च को एक दिन की हड़ताल का निर्णय एक कठिन निर्णय बन गया है क्यूंकि ये हड़ताल आम बैंक कर्मियों की प्रमुख मांग केंद्रीय सरकार और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों के बराबर वेतन दिए जाने के खिलाफ है.
एक ऐसे समय जब बैंक में नए भर्ती हुए नौजवानों का जोश और उत्साह नयी हिलोरें ले रहा हो और वो बैंक कर्मियों कि दयनीय स्तिथि से आजिज आ कर कुछ कर गुजरने की मंशा के साथ नेताओं से आर या पार के संघर्ष की मांग कर रहे हों, ट्विटर पर ट्वीट कर रहे हों, जब चुनाव सर पर हों और सरकार लगातार घट रही लोकप्रियता से चिंतित हो और इंडियन बैंक एसोसिएशन पर सरकार का दबाव डलवाने की बेहतर संभावनाएं हों तब बैंक कर्मियों की आशाओं और आकांक्षाओ के विपरीत बिना समता और बराबरी की माँग किए केवल शीघ्र वेतन समझौता किए जाने तक की मांग पर ही अपने आप को सीमित करके अनिश्चितकालीन हड़ताल के जरिये आर या पार कि लड़ाई का बिगुल न फूँक केवल एक दिन की हड़ताल का निर्णय आये हुए अवसर को गँवा देना ही कहा जाएगा. ऐसा निर्णय नए साथियों का यूनियन से मोह भंग कर सकता है और पहले से ही कमज़ोर हो चले श्रमिक संघ आंदोलन को और कमज़ोर कर सकता है.
ये वो परिस्थितियां हैं जिन्होंने धर्म संकट पैदा कर दिया. हड़ताल में शामिल होने का मतलब आम बैंक कर्मियों के सामान वेतन की मांग को तिलांजलि देना और हड़ताल में भाग न लेने का मतलब आई बी ए और सरकार की निगाह में एकता के विखंडित होने का सन्देश देना. वी बैंकर्स को खूब सोचने समझने और विचार मंथन करने के बाद ही हड़ताल के समर्थन या विरोध करने का निर्णय लिए जाने की ज़रूरत है ।
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