Friday, November 18, 2016

Life Is Now Peaceful

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जीवन में इतनी शांति और स्थिरता कभी महसूस नहीं हुई जितनी आजकल हो रही है।

न कुछ खरीदने की इच्छा, न कहीं जाने की इच्छा।
जेब में कुछ नहीं है फिर भी कोई टेंशन नहीं है।

पहली बार कोई हंस के कह रहा है कि कि मेरी जेब में एक भी पैसा नहीं है। वरना लाचारी साफ झलकती थी।

जिनके घरों में शादी है बैचेनी उन्हें भी नहीं हो रही है। क्योंकि पता है कि बेज़्ज़त करने वाला कोई नहीं है, जैसी स्थिति मेरी है वैसी स्थिति सबकी है।

एकाएक अल्पकालिक ही सही सामाजिक एकता महसूस हो रही है यानि पूँजीपति वर्ग और मध्यम/निम्न /श्रमिक वर्ग के बीच की खाई पटी हुई लग रही है और सबसे बड़ी बात लोग एक दूसरे की मदद भी कर रहे हैं।

एक ढाबे वाले ने बाकायदा बोर्ड पर लिखा है कि खाना खाइये और जब कभी इस रास्ते से गुजरो तो पैसा दे देना।
एक कहावत है कि -
"अकाल तो कट जायेगा पर बात रह जायेगी"

आपराध की कोई खबर नहीं है। यद्यपि हो रहे होंगे लेकिन मात्रा में कमी है

बाजार में एक शराबी नहीं दिख रहा है।

यहाँ तक की कश्मीर में चार महीने से जो पथराव चल रहा था वो थम सा गया है।

हॉस्पिटल से कुछ कुछ खबरे अच्छी नही आ रही है की पैसे न देने पर इलाज नहीं किया गया ये दुःखदाई है।
कुछ अस्पतालों ने तो कमायी छोड़ के सेवाएँ मुफ़्त कर दीं.. चाहे कारण कुछ भी रहा हो...

बैको के आगे कतारें लंबी है लेकिन उनमे उग्रता नहीं है वे खुद को तस्सली देते नजर आ रहे है कुछ लोगों को उज्ज्वल भविष्य दिख रहा है तो कुछ को इस बात की अपार ख़ुशी है कि पैसे वालो की ऐसी- तैसी हो गई।

एक बात समझ में आ रही है कि पैसे से हम दिखावटी जीवन जीते हैं असली जीवन आजकल जी रहे हैं  जिसमे इंसान और इंसानियत है।

"सामान शील: व्यसनेसुसख्यम"
अर्थात समान, गुण, धर्म, व्यसन और परिस्थिति वालो में मित्रता हो जाती है। सब एक समस्या से जूझ रहे हैं इस लिए न कोई छोटा न कोई बड़ा।

अर्थात एक 'अल्पकालिक ही सही  'समाजवाद' के दर्शन हुए हैं।।

*नोट बंदी क्यों था जरुरी?*

रूपये का कागज तैयार करने के लिए दुनिया में 4 फ़र्म हैं -

1. फ्रांस की अर्जो विगिज
2. अमेरिका का पोर्टल
3. स्वीडन का गेन
4. पेपर फैब्रिक्स ल्युसेंटल

बड़ी बात यह है कि इनमें से दो फोर्मो का 2010-11 में पाकिस्तान के साथ भी रूपए के कागज का अनुबंध हो चुका है जिसका भारत ने विरोध भी किया था, अर्थात नोट छापने के लिए जो कागज भारत लेता था वही कागज 2010 से पाकिस्तान भी ले रहा है, फलस्वरूप पाकिस्तान उस कागज के अधिकतम हिस्से का इस्तेमाल भारतीय रूपए(नकली नोट) छाप कर भारत मे भेजने का काम कर रहा है|
RBI के मुताबिक भारत में लगभग 16000 खरब डालर मूल्य के रुपए असली है, इंडियन इन्टेलिजेन्स एजेंसीज के मुताबिक पाकिस्तान 15000 खरब डालर नकली भारतीय रूपया छाप कर भारत में सप्लाई करने के लिए तैयार बैठा हैं जो कि 0% Error हैं (पूरी तरह असली के समान, जिसे पहचान पाना असम्भव था)| अर्थात लगभग पूरे भारतीय रूपया के 98% नकली नोट भारतीय बाजार में आने को तैयार थे| अगर वे नोट बाजार में आ जाते तो अचानक मुद्रास्फीति लगभग दो गुनी बढ़ जाती, महंगाई दो गुनी बढ़ जाती|

इसीलिए मोदी जी ने आनन-फानन मे अब जर्मनी के एक प्रिंटिंग प्रेस से कागज लेने का अनुबंध किया| साथ ही ये भी अनुबंध किए कि ये कागज जर्मनी किसी अन्य को नहीं दे सकता, ताकि भविष्य में फिर कभी नकली नोट की समस्या भारत में न हो सके| ये कागज पहले वाले से बहुत हल्का और अधिक सुरक्षित हैं, ये पानी, धूप से खराब नही हो सकता|

आनन-फानन में उन्हें 500-1000 रूपए के नोट को बन्द करना पड़ा| बेशक जनता को 10 दिन विकट समस्या को झेलना पड़ रहा है लेकिन इसके फायदे को भी देखे...!

1- नकली नोट की समस्या भारत से हमेशा के लिए समाप्त
2- ब्लाक मनी भी ना के बराबर हो जाएगा| (ब्लाक मनी का अर्थ है कि वो पैसा जो बाजार में नहीं दौड़ रहा और किसी की तिजोरी में भण्डारण हुआ था),
3- कालाधन कमाने का रास्ता ब्लाक हो गया,
4- पहले से मौजूद कालाधन 65% से अधिक खराब हो जाएगा| (बचे 35% कालाधन नोट के शक्ल में नहीं है),
5- हवाला का धन्धा खत्म,
6- विदेशी बैंको मे जमा कालाधन बेकार हो जाएगा, कैशलेस इकाँनमी को मजबूती मिलेगी,

7 आंतकवादियो की बाट लगने लगी है.हराम का मिलना बँद.हलाल का कोई दे नही पायेगा

और भी बहुत प्रकार के फायदे धीरे-धीरे सामने आने वाले हैं। पीएम मोदी के इस साहसपूर्ण क़दम की पूरी दुनिया में भूरि-भूरि प्रशंशा हो रही है।

आइए, हम अपने बच्चों के लिए एक उज्जवल भारत बनाने में महानायक का साथ दें। वन्देमातरम

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