एक्टिविस्ट/ पेंशनर्स:
कल, 22.7.2021, की पेंशन रिवीजन कमेटी की आहूत बैठक में बेफी को छोड़कर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी संधों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कमेटी के अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन राव, उपाध्यक्ष व अन्य सदस्य उपस्थित थे. बैठक को लेकर तापमान काफी ऊपर था, जो दोपहर बाद काफी नीचे गिर गया। आइए, बैठक की कार्यवाई पर गौर करें:
■ बैठक तो पेंशन रिवीजन कमेटी के अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन राव ने पेंशन रिवीजन के मुद्दे पर बुलाई थी, लेकिन अधिकारी/ कर्मचारी यूनियनों के नेताओं ने जो बातें रखीं, उससे जाहिर हुआ कि वे इस बैठक को "आईबीए की निगोशिएटिंग कमेटी" की बैठक समझ कर पेंशन रीवीजन से इतर उन मुद्दों पर ज्यादा बातें की, जिनका कमेटी से कुछ लेना देना नहीं था। इतना बड़ा विषयांतर, इन नेताओं के बौद्धिक दीवालिया होने का और स्पस्ट संदेश देता है।
■ बैठक में कमेटी ने अपना कार्ड नहीं खोला। कमेटी ने क्या होमवर्क किया, क्या उसकी मंशा है, आंकलन या फिर प्रस्ताव है, इसका रंचमात्र भी संकेत नहीं दिया। लगता है कर्मचारी यूनियनों ने अपनी मौखिक प्रस्तुति दी, जब की अधिकारी यूनियनों ने कमेटी के चेयरमैन श्री मल्लिकार्जुन राव को संबोधित पत्र के जरिए अपनी बातें रखीं। जो हुआ, वह एकतरफा था। कमेटी ने इनकी सुनी पर अपनी कोई राय दिए बिना बैठक समाप्त कर दी।
■ इस बैठक में अधिकारी और कर्मचारी संघें बिना आपसी राय-मशविरा व तालमेल के शरीक हुईं। दोनोंं संवर्गों के हित में पेंशन रिवीजन जैसे कामन मुद्दे पर कोई एक जैसी पहल नहीं दिखी। यूनाइटेड फोरम के चरित्र का पर्दाफाश तो पहले ही हो चुका था, जिसे यहां फिर दोहराया और पुख्ता किया गया।
■ कर्मचारी संघों ने इस बात का बिलकुल उल्लेख नहीं किया कि उनके प्रस्तुत मुद्दोंं पर आईबीए का क्या प्रत्युत्तर या प्रतिक्रिया थी, जब कि अधिकारी संघों ने अपने परिपत्र दिनाक 22.7.2021 के पैरा 3 में कहा कि कमेटी का प्रत्युत्तर निराशाजनक रहा, क्योंकि चेयरमैन ने इस रिमार्क के साथ मीटिंग का समापन किया कि इस बैठक का आयोजन संगठनों के विचार (पेंशन रीवीजन पर) जानने के लिए किया गया था. अन्य उठाए गए मुद्दों पर आईबीए निराकरण के कदम उठाएगा।
■ कमुटेशन चार्ट के परिवर्तन पर कर्मचारी यूनियनें चुप रहीं, जबकि अधिकारी संघ इस बात को लेकर कंफ्यूज थे कि "कैरियर आफिसर" का क्या अभिप्राय है। अधिकारी संघों ने अपने लिखित प्रतिवेदन में कहा कि इसे आइसोलेशन में नहींं लिया जा सकता है, लेकिन यह नही बताया की क्या वे क्या उखाड़ने वाले हैं। कमुटेशन चार्ट 6वें वेतन आयोग कि शिफारिशों पर आधारित है, जिसमें 40% पेंशन कमुटेशन का भी प्रावधान है।
■ 20 वर्ष की सेवा पर पूरी पेंशन, बजाय 33 वर्ष पर, और अंतिम महीने के मूल वेतन या 10 महीनें के औसत मूल वेतन में जो ज्यादा हो, उस पर पेंशन गणना का प्रावधान है की मांग को कर्मचारी/ अधिकारी, दोनों, यूनियनों उठाया।
■ कर्मचारी संघों ने पेंशनर्स की 80, 90 और 100 वर्ष की उम्र पर अतिरिक्त पेंशन की मांग की, जैसा केन्द्र सरकार/ रिजर्व बैंक पेंशन में है, लेकिन अधिकारी संघों ने ऐसी मांग नहीं की।
■ कर्मचारी संघों ने वेतन रिवीजन के साथ पेंशन रिवीजन के प्रावधान की मांग की। अधिकारी संघों ने भी इस मांग को दोहराया। कर्मचारी संघों ने 1.1.1986 से 31.10.2017 के पेंशन रिवीजन की माग की, लेकिन कैसे हो, क्या आरबीआई की लाइन पर हो, इस पर खामोश रहीं, जबकि अधिकारी संघों ने 31.10.2017 तक पेंशन रिवीजन की मांग करते कहा कि बैंक इम्प्लाइज पेंशन रिगुलेशंस में प्रावधान है कि अपडेशन आरबीआई की तर्ज पर होगा। इस दौरान आरबीआई की पेंशन दो बार रिवाइज हो चुकी है। हम मांग कर चुके हैं कि बैंककर्मियों की पेंशन आरबीआई के फार्मूले के आधार पर समायोजित करते किया जाए।
■ कर्मचारी संघों ने सभी की पेंशन को 6352 इंडाइसेस तक करनें की मांग की, पर अधिकारी संघें इस पर मौन थीं।। दोनों तरफ से रिजाइनीज को पेंशन आप्सन देने की मांग की।
■ यह बैठक पेंशन रिवीजन कमेटी ने पेंशन रिवीजन के मुद्दे पर बुलाई थी। यूनियन नेताओं ने पेंशन रिवीजन के बजाए, अन्य मुद्दों पर ज्यादा तवज्जो देते दिखे। यह कमेटी पेंशन रिवीजन के लिए गठित है, लेकिन नेताओं का क्या, वे अपनी मर्ज़ी के दर्जी हैं, जैसा चाहे वैसा सिलें। किसी ने 22.7.21 को बड़ा शुभ दिन करार देते 22.7.2020 के मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग की बात की, जिसमें पेंशन नीति की दोबारा नसबंदी की गई थी, तो अधिकारी संघों ने अनुकंपागत नियुक्तियों, कोविड के मेडिकल बिल्स, टी.पी.ए. द्वारा अस्वीकृत बिलों, 5 दिवसीय बैंकिंग, विजिलेंस, लाजिंग-बोर्डिंग खर्चों जैसे कमेटी के लिए अप्रासंगिक विषयों पर टाइम पास किया।
■ बैंक कर्मचारी सेना महासंघ की प्रस्तुति भ्रामक एवं भटकावपूर्ण दिखी। वे क्या चाहते हैं और उनके पास अपनी मांगों के आधार या तर्क क्या हैं, वे सामनें रखने में असफल रहे हैं।
■ कर्मचारी संघों ने डींग तो मारी है कि बहुत जल्द ही पेंशन रिवीजन पर शुरू हुई वार्ता बड़ी सफलता में बदल जाएगी। ऐसा वाकई दिल से कहा या महज ध्यान भटकाने के लिए, यह समय बताएगा। यूनियनों के कपटी चरित्र को लेकर बैंकिंग का हर शख्स संदेह में रहता है। बहरहाल, अधिकारी संघों ने ऐसा कोई दावा नहीं किया।
■ हम समझते है, इस बैठक ने यूनियनों की बची-खुची विश्वसनीयता को गहरा धक्का दिया है। ऐसा जाहिर था, यूनियनें अपनी कुटिल चाल से बाज नहीं आएंगी और वे पेंशनरों को लेकर अपनी घटिया मानसिकता का प्रदर्शन करेंगी। जो हुआ है वह कतई अप्रत्याशित नहीं था। बैंक पेंशनर्स मानसिक तौर पर ऐसी स्थिति के लिए तैयार थे।
■ यूनियनों का यह ट्रेलर भर था, अभी पूरी पिक्चर आनी बाकी है, ऐसा हमारा आकलन है। पेंशन रिवीजन का कारवां जैसे जैसे आगे बढ़ेगा, यूनियन नेताओं का नंगापन सामने आता जाएगा।
■ पेंशनर अपना कार्य जारी रखें, अफवाहों और भटकाव से हर हालत में बचें। यह कोई प्रतियोगिता या दौड़ का विषय नहीं है और न ही आपसी वाकयुद्ध से कोई हल निकलनेवाला है। लक्ष्य पर पहुंचनें के लिए सही दिशा में चलना जरूरी है। आगे की स्थिति पर अगली पोस्ट में बात होगी।
नमस्कार.
(जे.एन.शुक्ला)
23.7.2021
9559748834
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