Friday, October 4, 2019

Make We Bankers Strike Grand Success

Sri Kamlesh  Chaturvedi writes as under on facebook


ऐसे समय जब भुगतान क्षमता पर आधारित प्रतिशत बढ़ोत्तरी और समता और बराबरी के बीच संघर्ष निर्णायक मुक़ाम पर है, विद्वानों  में चर्चा है, बहस छिड़ी पड़ी है कि अभी 2018 में एक पंजीकृत यूनियन के रूप में अस्तित्व में आया वी बैंकर्स भला अनिश्चितक़ालीन हड़ताल को सफल बना पाएगा ? महान विद्वान सोशल मीडिया में चुनौती दे रहे हैं, कह रहे हैं अनिश्चितक़ालीन तो क्या एक दिन की हड़ताल कर के देख लो हैसियत पता चल जाएगी, औक़ात पता चल जाएगी ।

कहावत है कि जिस रंग का चश्मा पहनो बाहर की दुनिया उसी रंग की नज़र आती है । जिन्होंने परम्परागत यूनियनों का चश्मा पहना हुआ है, जिनको ज्ञान की प्राप्ति मौजूदा दौर के नेताओं से हुई है वे भला यथार्थ और सच्चाई कैसे देख पाएँगे ? अपने नेताओं की तरह वे इस सच्चाई को अनदेखा कर रहे हैं कि आज हर तरह के बैंक कर्मी चाहें अधिकारी हों या कर्मचारी, चाहें सेवारत हों या फिर सेवा निवृत्त अपनी अपनी दयनीय दशा पर दुखी हैं, क्रोधित हैं । ये अपने नेताओं से लगातार वेतन, पेंसन और कार्य दिवस में समता और बराबरी की माँग करते रहे हैं और इन माँगों को मनवाने के लिए अनिश्चितक़ालीन हड़ताल की गुहार लगाते रहे हैं और नेता हैं कि समता और बराबरी की जगह भुगतान क्षमता पर आधारित प्रतिशत बढ़ोत्तरी का  खेल खेलते रहे हैं, एक दो दिन की हड़ताल के ज़रिए बैंक कर्मियों का वेतन कटवा कर मैनज्मेंट को फ़ायदा पहुँचाते रहे हैं ।

 2014 से सीपीसी की माँग के साथ आंदोलन करते चले आ रहे वी बैंकर्स से भी सवाल किए जा रहे थे कि आख़िर बैंक कर्मियों को वेतन आयोग में शामिल करवाने या फिर बैंक कर्मियों के लिए अलग से वेतन आयोग गठित करवाने के लिए  वी बैंकर्स क्या कर रहा है ? जब मिनीमम वेज और सीपीसी फ़ोरमूले के आधार पर वेतन निर्धारित करवाने का वचन देने वाले अधिकारी संघठन अपने वचन को पूरा करने से पीछे हट गए, जब पीएलआई पर जिसका कोई ज़िक्र माँग पत्र में नहीं है, सारे संघठन सैद्धांतिक सहमति दर्शाने लगे, जब यह लगभग तय हो गया कि बैंक कर्मियों को वेतन, पेंसन आदि में समता और बराबरी के लिए पुरज़ोर, आर पार के संघर्ष की जगह समझौता और समर्पण करते हुए एक बार फिर भुगतान क्षमता पर आधारित प्रतिशत वेतन वृद्धि का खेल खेला जाएगा, बैंक कर्मियों की पहले से बदतर हालत को और दयनीय बनाने के बाद समझौते को ऐतिहासिक उपलब्धि वाला बताया जाएगा, लेवी वसूली जाएगी तब इन हालातों में वी बैंकर्स ने न केवल आम बैंक कर्मियों की आवाज़ को मुखरित किया है वरन अनिश्चितक़ालीन हड़ताल का आवाहन कर आम बैंक कर्मियों को वह अवसर भी प्रदान कर दिया है कि वे आकंठ घमण्ड में डूबे नेताओं को अपनी एकता, हिम्मत, बहादुरी और दिलेरी से इस सच्चाई से अवगत करवा दें कि यूनियन कर्मचारियों के सहयोग और समर्थन से ताक़त पाती है, कर्मचारियों के हितों की अनदेखी किए जाने पर कर्मचारी उन नेताओं के ख़िलाफ़ विद्रोह भी कर सकते हैं, जिनके लिए उन्होंने लाल सलाम के नारे लगाए हैं, अपना वेतन कटवा कर हर हड़ताल को सफल बनाया है ।

 कर्मचारी मोर्चे से अगुवाई करते हुए अपनी चट्टानी एकता के ज़रिए ख़ुद परिवर्तन ला सकते हैं । भला यह कैसी विद्वता है है कि जिन्होंने आपको मौजूदा दयनीय स्थिति में पहुँचाया है, उन्हें आप ज़रूरत से ज़्यादा महत्व दे रहे हैं, जो आपकी आशाओं और आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके, बार बार धोखा खाने के बाद उन्हीं से आशा संजो रहे हैं ।

याद रखिए वी बैंकर्स कोई परम्परागत यूनियन नहीं है, वी बैंकर्स एक विचारधारा है, आन्दोलन है,  वी बैंकर्स का मतलब है हर वह कर्मचारी जो वर्तमान व्यवस्था से दुखी है, पीड़ित है और वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन चाहता है, इन मायनों में आप ख़ुद वी बैंकर्स हैं, मैं वी बैंकर्स हूँ, हम सब वी बैंकर्स हैं । हमारे आंदोलन की सफलता का मतलब है वेतन पेंसन और कार्य दिवस में कम से कम समता और बराबरी, बैंक कर्मचारियों के खोए हुए मान, सम्मान और स्वाभिमान की वापिसी । वी बैंकर्स के आंदोलन की असफलता का मतलब है आपका ख़ुद का अपनी ताक़त पर भरोसा न करते हुए हार को स्वीकार कर लेना । इस तरह आप अपनी असीम विद्वता के चलते ख़ुद अपना उपहास उड़ा रहे हैं । यह बात अपने दिल और दिमाग़ से निकाल दीजिए कि हड़ताल की असफलता से वी बैंकर्स ख़ुद कुछ खोने जा रहा है बल्कि आप अपना ख़ुद का मान, सम्मान और स्वाभिमान खोने जा रहे हैं । विद्वता को कोने में रख कर विचार कीजिए, निर्णय लीजिए ।

वी बैंकर्स के रणबाँकुरों से एक ही बात कहनी है कि मत सोचो कि अकेले क्या कर पाएंगे, नहीं देते लोग साथ तो क्या खाक बदलाव लाएंगे? ऐसी सोच कायरता है, कमज़ोरी है. तुम तो बस मान लो और ठान लो कि कम से कम मैं तो नहीं सहूँगा अत्याचार, अनुचित व्यवहार न अपने प्रति न दूसरे के प्रति, हम बदलेंगे तो ही व्यवस्था बदलेगी, शुरुआत तो अपने से ही करनी पड़ेगी.  तुम चल निकलोगे तो तुम्हारी जैसी सोच के राही मिलते जाएंगे और कारवां बनता जाएगा, आज जो कठिन और असंभव लग रहा-आसान और संभव बनता नज़र आएगा. वह सुबह कभी तो आएगी, उस सुबह का इंतज़ार न करो, जो चलेगा वो मंजिल को पा ही लेगा,जो लड़ेगा या संघर्ष करेगा उसी के तो जीतने की सम्भावना होगी, जो लड़ेगा ही नहीं उसकी तो पराजय निश्चित है.

लहरों की गिनती क्या करना, कायर करते हैं करने दो
तूफानों से सहमे हैं जो पल पल मरते हैं मरने दो
नित नूतन पावन बीज लिए बैंक कर्मियों की नौका तिर जायेगी
हम पतवार चलाते जाएंगे, मंज़िल आएगी आएगी.

जिन्हें यह पतवार चलानी है, उनके लिए वी बैंकर्स की नाव है तैयार
वी बैंकर्स की हुंकार, कम से कम समता और बराबरी अबकी बार

एकता के ज़रिए पैनी करो संघर्ष की धार
बनो नए इतिहास की रचना के सूत्रधार
प्रतिशत बढ़ोत्तरी के खेल को परखा बार बार
समता और बराबरी आपकी बार
अनिश्चितक़ालीन हड़ताल से मचा दो हाहाकार
तुम लिखोगे एक नया इतिहास
अपने मन पैदा करो यह विश्वास


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