PM launches Pradhan Mantri Saubhagya Yojana; dedicates Deendayal Urja Bhawan to the nation
The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today launched the Pradhan Mantri Sahaj Bijli Har Ghar Yojana, or Saubhagya, at New Delhi. The aim of this scheme is to provide power to all homes.
On the occasion of the birth anniversary of Pandit Deendayal Upadhyay, the Prime Minister also dedicated a new ONGC building - the Deendayal Urja Bhawan.
The Prime Minister also dedicated to the nation, the Booster Compressor Facility in Bassein Gas Field.
Speaking on the occasion, the Prime Minister gave examples of the success of Jan Dhan Yojana, insurance schemes, Mudra Yojana, Ujjwala Yojana, and Udan, to highlight how the Union Government is implementing schemes which benefit the poorest of the poor.
In this context he mentioned the Pradhan Mantri Sahaj Bijli Har Ghar Yojana, which would provide power connections to all the estimated four crore households which currently did not have a power connection. The outlay for this scheme would be over Rs. 16000 crore. These connections would be provided free of cost to the poor, the Prime Minister said.
Speaking to the accompaniment of a presentation, the Prime Minister recounted how he had set a target of electrifying over 18000 unelectrified villages within 1000 days. He said less than 3000 villages are now left to be electrified.
He explained how coal shortages have become a thing of the past, and capacity addition in power generation has exceeded targets.
The Prime Minister also spoke of an increase in renewable power installed capacity, towards the target of 175 GW by 2022. He mentioned how the power tariff in the case of renewable energy has been reduced significantly. A considerable increase has also been made in transmission lines.
The Prime Minister mentioned how the UDAY scheme has brought down losses of power distribution companies, describing it as an example of cooperative, competitive federalism.
Explaining the impact of economies of scale in the UJALA scheme, the Prime Minister said that the cost of LED bulbs has come down significantly.
The Prime Minister said that New India will require an energy framework that works on the principle of equity, efficiency and sustainability. He said the change in work culture in the Union Government is strengthening the energy sector. This in turn, will positively impact the work culture of the entire country, he added.
Text of PM’s speech on the launch of SAUBHAGYA Yojana
पेट्रोलियम मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह जी, ऊर्जा सचिव श्री अजय के भल्ला जी, पेट्रोलियम सचिव श्री कपिल देव त्रिपाठी जी, ONGC के CMD श्री डी. के. सर्राफ जी, और यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, और दूर-दूर वीडियो लेन से जुड़े हुए ओएनजीसी के सभी साथी।
आज एक साथ तीन पवित्र अवसरों की त्रिवेणी का संयोग बना है। आज नवरात्र का पांचवा दिन है और इस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। स्कंदमाता के आर्शीवाद से नवरात्र के इन दिनों में देश की महिलाओं की सुरक्षा और उनकी जिंदगी से जुड़ी एक बहुत महत्वपूर्ण योजना की आज शुरूआत होने जा रही है।
आज ही श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म जयन्ती है और आज ही देश को दीनदयाल ऊर्जा भवन भी मिल रहा है। पर्यावरण के अनुकूल और बिजली की कम खपत वाली इस ग्रिड बिल्डिंग का लोकार्पण करते हुए मुझे बहुत ही सुखद अनुभूति हो रही है… मुझे बताया गया है कि इस ONGC के हजारों कर्मचारी विशेष रूप से विडियो लिंक के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं कि भवन में मैंने जब देखा मेरे मन में विचार आया काश अच्छा होता प्रधानमंत्री बनने के बजाय यहां आता लेकिन खैर बहुत सी चीजे हैं जो मेरे नसीब में नहीं हैं। मैं आप सभी को इस भव्य भवन के लिए बधाई देता हूं और शुभकामनाएं देता हूं।
आज एक तरह से देखें तो यहां पर अध्यात्म, आस्था और आधुनिक तकनीक तीनों ही क्षेत्र ऊर्जा से जगमग रोशन हैं।
भाइयो और बहनों पिछले वर्ष आज के ही दिन से दीनदयाल जी जन्मशती वर्ष के निमित हमने गरीब कल्याण वर्ष का आरंभ किया था। सरकार ने तय किया था कि एक साल तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मशती वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाएगी। आज वर्ष के तौर पर भले ही इसका समापन हो रहा है लेकिन गरीब कल्याण इस सरकार की पहचान के साथ जुड़ा हुआ है।
जन धन योजना से लेकर स्वच्छ भारत अभियान तक, उज्ज्वला से लेकर मुद्रा तक , Startup से लेकर Standup India तक, उजाला से लेकर उड़ान तक आपको सिर्फ गरीब कल्याण ही नजर आएगा।
किसने सोचा था कि कभी ऐसी भी सरकार आएगी जो 30 करोड़ गरीबों के लिए बैंक के खाते खुलवाएगी। किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो एक रुपए महीने और दूसरा 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम भर से लगभग 15 करोड़ गरीबों का बीमा उपलब्ध कराएगी। किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो बिना बैंक गारंटी और ये छोटी बात नहीं है। बिना बैंक गारंटी 9 करोड़ खाताधारकों को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज देगी।
किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो इस बारे में सोचेगी कि महिलाओं को रसोई में धुएं से मुक्ति मिलेगी किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो इस बारे में सोचेगी कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में उड़ सके। इस प्रकार की योजना बना सके, किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो ह्दय के ऑपरेशन के लिए Stent की कीमतें कम कर देगी, घुटने की implant की कीमत भी कम कर देगी और मध्यम वर्ग की पहुंच के भीतर ले आने का प्रयास सफलतापूर्वक करेगी।
गरीब का सपना मेरी सरकार का सपना है और गरीब की मुश्किलें उसकी रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली परेशानी कम करना मेरी सरकार का सबसे बड़ा दायित्व है। आज इसी कड़ी में देश के करोड़ो गरीब परिवारों से जुड़ी गरीब महिलाओं से एक बहुत बड़ी, बहुत ही महत्वपूर्ण और बहुत ही आवश्यक योजना की शुरूआत हो रही है।
भाइयों और बहनों इस योजना का नाम है। प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य।
साथियों स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारे देश में चार करोड़ से ज्यादा घर ऐसे हैं जिसमें बिजली कनेक्शन नहीं है। भारत में कुल परिवार घर 25 करोड़ है उसमें से चार करोड़ यानि करीब-करीब 20 प्रतिशत। आप सोचिए चार करोड़ घरों में रहने वालों लोगों की जिंदगी कैसी होगी। वह 18वीं शताब्दी में गुजारा कर रहें हैं। आप कल्पना करिए कि आपकी जिंदगी से भी अभी बिजली चली जाए तो आपकी जिंदगी कैसी होगी। साथियों, सवा सौ साल से ज्यादा तक का समय बीत चुका है। जब महान वैज्ञानिक Thomas Alva Edison ने बल्ब का आविष्कार किया था दुनिया का अपना आविष्कार दिखाते हुए Edison ने कहा था “we will make electricity so cheap that only the rich will burn candles” यानि हम बिजली को इतना सस्ता बना देंगे कि सिर्फ अमीर ही मोमबत्तियां जलाया करेंगें।
हम सभी के लिए ये दुखद है, अफसोसजनक है कि आज तक देश में चार करोड़ परिवारों में बल्ब तो दूर बिजली तक नहीं पहुंच पाई है। उन घरों में आज भी मोमबत्तियां जल रही हैं, ढिबरी जल रही है, लालटेन जल रही है। उन करोड़ों गरीब परिवारों में आज भी शाम के बाद बच्चों को पढ़नें में दिक्कत होती है। पढ़ते भी हैं तो उसी लालटेन की रोशनी में। मैं जब छोटा था मैंने भी ऐसे ही पढ़ाई की तो हमारे जो बुजुर्ग लोग थे वो हमें समझाते थे कि आप मिट्टी की तेल से जलने वाली बत्ती से मत पढ़ करो। तुम्हारी आंखे खराब हो जाएगी, सांस भी थम जाएगा, मैंने बोला क्या करूं तो बोले Castor oil का जो उपयोग करके दीया जलाओ उस दीए से पढ़ाई करो हमनें बचपन में Castor oil के दीए से प्रकाश करके जिंदगी को कुछ आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। तब जाकर के मन में लगता था कि चार करोड़ परिवारों को क्या होता होगा। सुख सविधाओं की बात छोडि़ए घर की महिलाओं को भी अंधेरे में खाना बनाना पड़ता है और इसलिए ज्यादातर महिलाओं पर दिन ढलने से पहले ही रसोई का काम खत्म करने का दबाव रहता है।
घरों में रोशनी नहीं, बिजली कनेक्शन नहीं और इसका सीधा असर रास्तों की रोशनी पर भी पड़ता है। अंधेरे में घर से बाहर निकलना और मुश्किल हो जाता है। विशेषकर महिलाएं तो जैसे घर में ही बंद रहकर उनको गुजारा करना पड़ता है।
बिना बिजली के जिंदगी कैसी होती है ये समझना हमारे आपके, हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जिसके पास बिजली का कनेक्शन है। बिना बिजली वाले इन घरों में जब बिजली का कनेक्शन पहुंचेगा तभी उनका भाग्य चमकेगा, तभी उनके लिए सौभाग्य होगा।
प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य योजना के तहत सरकार देश के हर ऐसे घर चाहे वो गांव में हो या शहर में, या झुग्गी झोंपड़ी में हो, दूर-दराज वाले इलाके में हो उस घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ने का आज हम संकल्प करके आगे बढ़ते है। किसी गरीब से बिजली कनेक्शन के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। सरकार गरीब के घर पर आकर बिजली कनेक्शन देगी। जिस बिजली कनेक्शन के लिए गरीब क्यों, गांव के मुखिया के घर पर सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने पड़ते थे। उस गरीब को घर जाकर ये सरकार खुद बिजली कनेक्शन देगी बिना एक भी रुपया लिए बिजली कनेक्शन दिया जाएगा।
देश के हर गरीब के घर में बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए 16 हजार करेाड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा। 16 हजार करेाड़ रुपये को ये जिम्मा उन परिवारों की जिंदगी में नई रोशनी लाने के लिए है। हमनें तय किया है कि इसका बोझ किसी गरीब पर नहीं डाला जाएगा। इस सरकार ने गरीब को ये सौभाग्य देने का संकल्प किया है। गरीब को सौभाग्य का ये संकल्प हम सिद्ध करके ही रहेंगे। क्योंकि मेरा आदर्श संकल्प करें लेकिन सिद्ध भी करें।
साथियों पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहा था “आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज में ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से ही होगा”। यानि सरकार की योजनाओं की परख, उनकी पड़ताल इसी आधार पर होनी चाहिए कि उससे गरीब का कितना लाभ होता है। आज मुझे खुशी है कि पंडित दीनदयाल जी की जन्म जयन्ती पर देश के करोड़ों गरीब परिवारों के सपनों को पूरा करने वाली इतनी बड़ी योजना की शुरुआत हो गई।
घर में बिजली न होने पर गरीबों और विशेषकर महिलाओं-बच्चों को जिस तरह की दिक्कत आती है, उसे समझते हुए ही सरकार ने ऐसे 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाने की ठानी थी, जहां आजादी के इतने वर्षों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची। मैंने लाल किले से एक हजार दिन में ये काम पूरा कर लेने का वादा किया था।
इन 18 हजार गांवों में से अब तीन हजार से भी कम गांव ही ऐसे बचे हैं जहां बिजली पहुंचाई जानी बाकी है। इस ग्राफ से आप देख सकते है। कि इन गावों में भी तय समय के भीतर-भीतर हम बिजली पहुंचा देंगे और पहुंच जाएगी।
भाइयों और बहनों मुझे याद है जब मैंने पहली मीटिंग की ऊर्जा विभाग की प्रधानमंत्री बनने के बाद और मैंने जानकारी मांगी तो डिर्पाटमेंट ने मुझे कहा था कि साहब ये काम करने में सात साल लगेगा। मैंने सुन लिया मैंने कहा कि कम नहीं हो सकता उनके दिमाग में था नहीं होगा। मैंने लाल किले से बोल दिया मैं एक हजार दिन में कर दूंगा और अफसरों का ऐसा है कि अगर आप हिम्मत से आह्वान करें तो वे पूरा भी कर देते हैं। और आज मैं देख रहा हूं उन्होंने कर दिया।
भाइयों और बहनों, न्यू इंडिया में हर गांव तक ही बिजली नहीं पहुंचेगी, बल्कि न्यू इंडिया के हर घर में बिजली कनेक्शन भी होगा। प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य की शुरुआत होना सरकार की इच्छाशक्ति और देश में ऊर्जा क्रांति के लिए किए जा रहे उपायों का भी एक जीता जागता सबूत है, प्रतीक है। बिना बिजली संकट दूर किए, बिना व्यवस्थाओं में सुधार किए, बिना पुराने सिस्टम का आधुनिकीकरण किए, इस तरह की योजना की शुरुआत नहीं की जा सकती। पुराने धर्रें से काम नहीं होते। पुरानी परंपराओं से नहीं हो सकता। एक अमूल चूल परिवर्तन करके नए इशारे से चलना पड़ता है। नई दिशा, नई गति पकड़नी पड़ती है। ये योजना पिछले तीन वर्षों में किए गए केंद्र सरकारों के प्रयासों की भी एक प्रतीक है।
देश के लोग वो दिन नहीं भूल सकते, जब टीवी चैनलों पर बड़ी-बड़ी ब्रेकिंग न्यूज आया करती थी, ब्रेकिंग न्यूज से तो आप परिचित है। उसमें आगे इतना ही लिखने की जरूरत है भारत ब्रेकिंग न्यूज उस समय समाचार आया करता था - कोयला घरों में एक दिन कोयला बचा नहीं है, दो दिन का कोयला बचा है। बिजली संकट का वो दौर था, जब ग्रिड फेल हो जाया करते थे, राज्य के राज्य अंधेरे में डूबे जाते थे। और ये मैं कई दशक पहले की बात नहीं कर रहा। ये सब मैं कुछ ही दशक यानि पिछले दशक की ही बात कर रहा हूं, पिछली सरकार के दौरान ही ये सब हुआ है।
अब याद करिए, कितने दिन हुए कि आपने ऐसी ब्रेकिंग न्यूज देखी क्या? कि कोयला नहीं है, बिजली घरों में कोयला नहीं है। नहीं देखी। साथियों, देश बिजली संकट को पीछे छोड़कर अब बिजली सरप्लस हो रहा है। और ये सब कुछ एक बड़ी रणनीति के तहत नहीं, नई अप्रोच के साथ, नई नीतियों के साथ, multidimensional step उठाने से हुआ है।
देश की बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए चार अलग-अलग चरणों पर एक साथ काम किए गये - Production, Transmission, Distribution और Connection. अगर Production नहीं होगा, Transmission - Distribution system मजबूत नहीं होगा, तो Connection की चाहे जितनी बातें कर ली जाएं, घर-घर बिजली नहीं पहुंचाई जा सकती थी।
इसलिए सरकार बनने के बाद, सबसे पहले Production बढ़ाने पर जोर दिया गया। सौर ऊर्जा, पानी से बनने वाली ऊर्जा Hydro, कोयले से बनने वाली बिजली और Nuclear Power, सभी से उत्पादन बढ़ाने के लिए चौतरफा काम शुरू हुआ।
1. साथियों, वर्ष 2015 में हमने कोयला खदानों के लिए एक नया अधिनियम लागू किया था जिसके तहत पहली बार कोयला खदानों का रिवर्स ई-ऑक्शन हुआ है। साल 2009 से 2014 तक, पांच सालों में कोयले का उत्पादन सिर्फ 34 मिलियन टन बढ़ा था, वहीं पिछले 3 वर्षों में हमने 93 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाकर 659 मिलियन टन प्रति वर्ष कर दिया है। मुझे आपको बताते हुए खुशी है कि इस सरकार के तीन वर्षों में ही PSU’s द्वारा कोयले के उत्पादन में हुई वृद्धि, पिछली सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल में हुई वृद्धि की तुलना में डेढ़ गुना से ज्यादा है, अधिक है। जिन्हें खदान नहीं, कोयला चाहिए, उनके लिए चार महीना पहले सरकार ने "शक्ति" नाम से एक नई कोयला आवंटन की नीति भी लागू की है। इसके तहत बिजली पैदा करने वाले थर्मल प्लांटों को कोयले का आवंटन पारदर्शी तरीके से नीलामी द्वारा किया जाएगा। पिछले साल फरवरी में सरकार coal linkage के दोबारा आवंटन के लिए भी पारदर्शी नीलामी नीति को जारी कर चुकी है। 2. साथियों, जिस कोयले की नीलामी में करोड़ों का घोटाला हुआ था, उसी कोयले की नीलामी की एक पारदर्शी और आधुनिक व्यवस्था इस सरकार ने देश को दी है। ये इस सरकार की नीतियों का भी और नीयत का भी परिचायक है। ये सरकार बिजली के क्षेत्र में सुलभ, सस्ती, स्वच्छ, सुनियोजित, सुनिश्चित एवं सुरक्षित बिजली उपलब्ध कराने के 6 मूलभूत सिद्धांतों पर काम कर रही है। 3. पिछले तीन वर्षों में सरकार के प्रयासों से पहली बार Installed Power Capacity में 60 हजार मेगावॉट की वृद्धि हुई है, जो लक्ष्य से 12% अधिक है। 4. साथियों, भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते समय हमने ये भी संकल्प लिया था कि ये काम clean energy को प्राथमिकता देते हुए किया जाएगा। इसलिए ही सरकार ने 2022 तक 175 गीगावॉट clean energy के उत्पादन का लक्ष्य रखा था। यानि ऐसी बिजली जो Solar, Wind और Hydro से बने। 5. इस लक्ष्य पर चलते हुए पिछले तीन वर्षों में भारत में Renewable Energy Capacity को लगभग दोगुना कर दिया गया है और इसमें 27 हजार मेगावॉट से ज्यादा क्षमता की वृद्धि की गई है। इसी अवधि में सौर ऊर्जा की क्षमता लगभग पांच गुना बढ़ाई गई है। 6. Renewable Energy के सेक्टर में कम्पीटिशन को बढ़ावा देकर, सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि वो देश के आम नागरिकों के लिए किफायती भी रहे। Renewable Energy की लागत में कमी पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। इसी वजह से साल 2016-17 में हमें सौर ऊर्जा सिर्फ 2 रुपए 44 पैसे और पवन ऊर्जा सिर्फ 3 रुपए 42 पैसे के Minimum teriff पर मिली है। मुझे याद है जब मैं गुजरात में था, मैं Solar Energy के लिए चला उस समय भारत सरकार 19 रूपये देने को भी तैयार थी। तब मैंने वहां 13 रूपये की policy बनाई। और Gujarat was the first state जिसने हिन्दुस्तान में Solar Energy की Policy बनाई थी। और तब हमारे लोग घबरा गए थे। कि भारत सरकार के 19 रूपये मिलने वाले हैं और आपके 13 हैं तो कौन आगे जाएगा। मैंने कहा कि मैं कोई ज्यादा नहीं दूंगा, मैं यहीं पर अटकूगां और मुझे विश्वास है कि वो एक दिन दूर नहीं होगा जब Thermal or Solar equal हो जाएगें, ये मैंने उस समय भाषण दिया था। मैं डिगा नहीं और मजा ये हुआ कि लोग 19 वाली योजना में नहीं गए, 13 की योजना में आए क्योंकि echo system को मैंने manage किया था और वो उस समय देश का सबसे बड़ा solar park वहां बना था। आज देश solar योजना में 2 ढाई रूपये बिजली ले आया है।
साथियों, सरकार ने बिजली ट्रांसमिशन के क्षेत्र में भी investment काफी बढ़ाया है जिसकी वजह से देश के Transmission Network में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले तीन सालों में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स पर काम किया गया है। ये पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों की तुलना में 83 प्रतिशत अधिक है। आप कल्पना कर सकते हैं एक एक चीज आपको बताती है काम कैसे होता है। इस सरकार में लक्ष्य से 12 प्रतिशत से ज्यादा ट्रांसमिशन लाइन लगाई गई हैं।
इसके कारण न केवल आज देश को सुरक्षित और संतुलित ग्रिड उपलब्ध हुआ है, बल्कि हम अब तेजी के साथ One Nation, One Grid, One Price के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
साथियों, बरसों तक देश के पावर सेक्टर की उपेक्षा किए जाने की वजह से इस सेक्टर की बहुत बड़ी कमजोरी बन गया था Power Distribution. इस वजह से जितनी बिजली देश में पैदा हो रही थी, उतनी बिजली लोगों को मिल नहीं रही थी। Power Distribution कंपनियां भी हर अतिरिक्त यूनिट पर आर्थिक नुकसान उठा रहीं थीं।
इस कमजोर कड़ी को तोड़ने के लिए, Power Distribution System मजबूत करने के लिए, 2015 में सरकार ने उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना यानि उदय की शुरुआत की थी। उदय योजना का मकसद बिजली Distribution के काम में लगी कंपनियों में बेहतर Operational और Financial Management की स्थापना करना था। जब कंपनियों में स्थायित्व होगा, वो व्यवसायिक रूप से मजबूत होंगी, तभी Distribution पर भी ध्यान दे पाएंगी।
आज तीन वर्षों के लगातार प्रयास की वजह से बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों की सेहत में सुधार आता दिख रहा है। इसी का नतीजा है कि Distribution कंपनियों ने अगस्त 2017 तक लगभग 23,500 करोड़ रुपये की राशि बचाई है जो उन्हें ब्याज के तौर पर देनी पड़ती थी। ये आप देख सकते हैं किस प्रकार की स्थिति बनी है।
उदय के एक ही वर्ष में, साल 2016 के मुकाबले में डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों का सालाना नुकसान वर्ष 2017 में लगभग 42 प्रतिशत कम हुआ है। उदय योजना विकास के लिए competitive-cooperative federalisms का भी शानदार उदाहरण के रूप में आप उसे देख सकते हैं। साथियों, ये सरकार गांवों और शहरों में बिजली के डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी दो बड़ी योजनाओं पर काम कर रही है।
गांवों में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना चल रही है और शहरों में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम यानि IPDS. इन दोनों योजनाओं से जुड़ी 69 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। इन योजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को भी पिछले तीन सालों में बिजली के वितरण क्षेत्र की योजनाओं के तहत लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई है। ये राशि, पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में उपलब्ध कराई गयी राशि से दो गुना से भी ज्यादा है।
भाइयों और बहनों, देशभर में Power Distribution सेक्टर में केंद्र सरकार ने जो फैसले लिए हैं, जो नीतियां बनाई हैं, उसका सीधा असर Ease of Doing Business पर भी पड़ा है। पावर सेक्टर में Ease of Doing Business के मामले में भारत साल 2015 में 99वें स्थान पर था। जबकि अब उसकी रैंकिंग 26 हो गई है। आप कल्पना करें कहां 99 रैंकिंग और कहां 26 रैंकिंग में इतना बड़ा उछाल इस सेक्टर को सुधारने में लगे लोगों के लिए एक बहुत ही गौरव की बात है।
Power सेक्टर में भारत के कार्यों पर एक और अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की तरफ से Point किया गया है। अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA ने पिछले साल रात में अंतरिक्ष से भारत का एक चित्र लिया था। इस चित्र में भारत जगमगा रहा था। आप इस चित्र में देख सकते हैं। ऐसा ही एक चित्र साल 2012 का है जिसमें अंधेरा नजर आ रहा है। और दूसरा पावर सेक्टर की अलग कहानी दिखाता है। जो 2014-2015 में लिया गया है। 2016 का है। 2016 का ही चित्र है। साथियों, यह सरकार पॉवर सेक्टर को मजबूत करने के साथ ही, इस बात पर भी जोर दे रही है कि पॉवर की डिमांड कम करने वाले आधुनिक तरीकों को अपनाया जाए। ये आधुनिक तरीके बिजली तो बचाते ही हैं, लोगों का बिजली का बिल भी कम करते हैं।
सरकार के प्रयास की वजह से LED बल्ब, और ये आंकड़ा याद रखिए LED बल्ब जो फरवरी 2014 में, मैं 2014 मई में आया था। फरवरी 2014 में LED बल्ब की कीमत थी 310 रुपया, और आज सितंबर 2017 में उसकी कीमत है 40 रुपया। उजाला योजना के तहत अब तक देश में 26 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे जा चुके हैं। इससे लोगों को बिजली बिल में सालाना 13 हजार 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत उनके परिवारों में हुई है। 13 हजार 700 करोड़ रुपए बचना कितनी मेगावाट बिजली बची अंदाज लगा सकते हैं आप, उसको लगाने में कितनी लागत होती वो बच गई। यानि देश की economy को किस प्रकार से चलाया जा सकता है इसका एक उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत होता है। प्राइवेट सेक्टर ने भी 41 करोड़ से ज्यादा LED बल्बों का वितरण किया है।
इसके अलावा सरकार द्वारा बिजली बचाने वाले लगभग 13 लाख पंखे और 33 लाख से ज्यादा ट्यूब लाइटों का भी वितरण किया गया है। विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रम के तहत 33 लाख 60 हजार से ज्यादा LED स्ट्रीट लाइटें भी अब लग चुकी हैं।
साथियों, पारदर्शिता और जवाबदेही इस सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। देश के आम नागरिक, देश का गरीब, देश का हर 'उपभोक्ता हमारे लिए सर्वोपरि है'। उनसे हर स्तर पर सुझाव लेना और उन्हें कार्यों की जानकारी देना, दोनों को ही लेकर सरकार बहुत गंभीर है। मोबाइल App, वेब पोर्टल, dashboard के जरिए योजनाओं की प्रगति को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है, लोगों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं।
साथियों, हमारी अर्थव्यवस्था के विस्तार को देखते हुए ये भी स्वाभाविक है कि आने वाले वर्षों में हमारी energy demand और बढ़ने जा रही है। ऐसे में हमें एक balance बनाकर चलना पड़ेगा। देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में Hydrocarbons की भी एक बहुत बड़ी भूमिका है। अभी देश की ऊर्जा जरूरत मुख्यत: कोयले से पूरी होती है। आने वाले दिनों में इसे हमें Gas और साथ-साथ renewable energy से भी संतुलित करना पड़ेगा। Carbon-related Emissions को कम करना हमारे सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, हमारी परंपरा का हिस्सा है। और दुनिया को हमनें COP-21 में सार्वजनिक रूप से कमिटमेंट देकर के साथ हम इस movement में जुड़े हैं।
न्यू इंडिया में हमें एक ऐसे energy framework की आवश्यकता है जो equity, efficiency and sustainability के सिद्धांत पर चले। ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम घरेलू सप्लाई को कितना बढ़ा पाते हैं और आयात पर अपनी निर्भरता कितनी कम कर पाते हैं।
अगर 2022 तक हम तेल आयात में 10 प्रतिशत की कटौती कर सकें तो ये सिर्फ उद्योगों को ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। पिछले दस वर्षो में Crude Imports पर हमने लगभग एक ट्रिलियन डॉलर खर्च किया है। ये हमारे आम बजट से भी करीब-करीब तीन गुना ज्यादा है। आप अंदाज लगा सकते हैं कि तेल आयात में कटौती करके, जो राशि बचेगी, वो जब देश के ग्रामीण इलाकों में हमारे मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए विकास की योजनाओं पर खर्च होगी तो कितना ज्यादा सामाजिक और आर्थिक विकास होगा।
साथियों, पिछले तीन वर्षों में Oil और Gas सेक्टर में सुधार करते हुए कई बड़े consumer centric initiatives लिए गए हैं। जैसे प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, LPG सब्सिडी को direct benefit transfer स्कीम से जोड़ना, Piped नैचुलर गैस सप्लाई और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार करना, LPG कवरेज बढ़ाना।
इसके अलावा पॉलिसी स्तर पर भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं। जैसे Liquid fuels की कीमत को डिरेग्यूलेट करना, Gas pricing के लिए नई नीतियां बनाना, घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए नए उपाय खोजना, HELP यानि Hydrocarbon Exploration और Licensing policy बनाना, DSF यानि Discovered Small Field की नीलामी के लिए पॉलिसी का गठन करना, फर्टिलाइजर सेक्टर में गैस पूलिंग करना।
भाइयों और बहनों, सरकार पर्यावरण की रक्षा को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है। इसी को ध्यान में रखते हुए व्यापक स्तर पर पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेन्डिंग, बायो डीजल से जुड़ी योजनाएं, LNG टर्मिनलों के विकास के कार्यक्रम की भी शुरूआत की गई हैं।
भविष्य में देश की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने के लिए तेल का उत्पादन करने वाले बड़े देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया जा रहा है। इसी कड़ी में भारत-रूस energy bridge का गठन किया गया है। पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय की तरफ से विदेश में ऐसे कई समझौते किए गए हैं जो भविष्य में हमारे हितों को ध्यान में रखेंगे।
सरकार के work-culture में बदलाव से पूरा Energy सेक्टर आज मजबूत हो रहा है और Energy सेक्टर के मजबूत होने से देश को भी एक नया work-culture मिलेगा। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में रहने वालों की जिंदगी में जब रोशनी पहुंचेगी, Gas पहुंचेगी, तो उनके जीने का तरीका, काम करने का तरीका भी बदल जाएगा। मुझे उम्मीद है कि “उज्जवला योजना” की तरह ही “सौभाग्य योजना” भी विशेषकर नारी शक्ति की जिंदगी में सुरक्षा और सेहत के नए भाग्य का उदय करेगी। इससे हमारे समाज का एक बड़ा असुतंलन भी खत्म होगा।
गरीबों की जिंदगी बदलने के लिए, उनकी जिंदगी से अँधेरा दूर करने के लिए, न्यू इंडिया के लिए, उठाए गए इस कदम के लिए मैं देश को फिर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
अभी धर्मेंद्र जी अपने भाषण में बता रहे थे कि ONGC ने startup के लिए 100 करोड़ रूपया की योजना बनाई है। मैं आज एक चुनौती का काम आपसे करना चाहता हूं और मुझे विश्वास है आप लोग उसे कर देंगे ...देखिए electric car, दुनिया अब उस पर चल पड़ी है क्योंकि वो भी energy से जुड़ा हुआ subject है जो electric car की तरफ ले जा रहा है। Electric car से जो मुसीबतें कम होगी और जितना लाभ होगा मैं समझ सकता हूं। लेकिन एक क्षेत्र ऐसा है जो बहुत बड़ा revolution ला सकता है। और मैं चाहूंगा कि ONGC इस initiative को उठाए, देश के युवाओं को आवाह्न करे। Innovation के लिए आह्वान करे। Innovation के competition ONGC organise करे। और काम ये कि बिजली से चलने वाला चूल्हा जिस पर हर प्रकार की रसोई हो सकती है। पकौड़े बनाने होंगे तो भी हो जाएगा और चपाती बनानी हो तो भी बन जाए, मिठाई बनानी हो तो भी बन जाए। अगर ऐसे user friendly equipment तैयार होते हैं तो वो दिन दूर नहीं होगा कि लोग अपने घर में solar energy से चूल्हा जलाएगें आपको गैस सिलेंडर, LPG, उज्ज्वला कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। और electric कार बनने के बाद जो बोझ या बचत होगी उसकी तुलना में हर घर में बिजली वाले चूल्हे की अगर आदत लग जाएगी और सस्ते में, मैं मानता हूं कि हमारे देश के नौजवान startups को invite कीजिए, एक बड़ी competition organise करें.. ONGC 100 करोड़ मेरे हिसाब से काफी हैं इस काम को करने के लिए इस एक काम में तो आपको जो 10 प्रतिशत कम करना है ना, वो एक साल में हो जाएगा क्योंकि जो खपत है उसका बहुत बड़ा alternate मिल जाएगा और आज electric car पर जितने research हो रहे हैं मैं मानता हूं electric equipment पर बुकिंग इस पर अगर होंगे तो शायद भारत जैसे देश में वो ज्यादा ताकतवर प्रमाण होगा और इसलिए मैं आज एक मैं एक चुनौती 25 सितंबर 2017 लिखकर रखिए शाम साढ़े सात बजे मैं आपको बता रहा हूं। सवा आठ बज गए हैं। तो मैं आशा करता हूं कि आपको योजना लेकर महीने भर में मेरे पास आइए और इसको कुछ करके दिखाइये और मैं आवाह्न करता हूं खासकर के ये जो हजार ONGC के सैनिक मुझे सुन रहे हैं उनसे मैं आह्वान करता हूं कि सारे नौजवान दिमाग खपायें innovation के लिए देश के नौजवानों का आह्वान करें। हम ऐसी सरल चीजें user friendly चीजें कैसे बनाए और एक नई क्रांति का हम प्रारंभ करें। साथियों बहुत-बहुत धन्यवाद और ये जो उत्तम भवन मैं आप उत्तम काम करेंगे इसी विश्वास के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
No comments:
Post a Comment