DEARNESS ALLOWANCE:
Dearness Allowance (D.A.) increases by 23 slabs = 2.30% for the quarter Nov.'16 to Jan.'17.
Now total slabs will be 478 =47.80% (0.10% per slab as per Xth Bipartite Settlement)
Total D.A. will be 45.50+ 2.30 =47.80% from Nov.'16.
TAHIR ALI
SECRETARY
P.N.B. EMPLOYEES" UNION (U.P.)
इन हालातों में सबसे बेहतर रास्ता वी बैंकर्स का वेतन आयोग में सम्मिलित होने की माँग करने और सरकार पर दबाव बनाने का रास्ता है -दीर्घकालिक दृष्टि से वेतन आयोग में शामिल होने से बैंक कर्मी अपना भाग्य देश के लाखों केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ जोड़ लेंगे और कम से कम समानता और बराबरी हांसिल कर लेंगे -वेतन आयोग में शामिल होना कार्यरत और सेवा निवृत्त बैंक कर्मियों की अनेकानेक समस्याओं का एक मात्र समाधान है ।
The Supreme Court’s ruling that temporary employees are entitled to regular pay scale, along with dearness allowance, as their peers in government doing the same work is a welcome decision.
Dearness Allowance (D.A.) increases by 23 slabs = 2.30% for the quarter Nov.'16 to Jan.'17.
Now total slabs will be 478 =47.80% (0.10% per slab as per Xth Bipartite Settlement)
Total D.A. will be 45.50+ 2.30 =47.80% from Nov.'16.
TAHIR ALI
SECRETARY
P.N.B. EMPLOYEES" UNION (U.P.)
Today i.e. on 31.10.2016, Government announced Consumer Price Index (CPI) data for the month of Sep'16. On the basis of CPI data announced by the Govt for the month of Jul'16 to Sep'16, as tabled below, there is an increase of 23 DA Slabs payable for the period of Nov'16 to Jan'17.
The total number of DA slabs and in terms of percentage the Dearness Allowance (DA) payable is as under :-
Vetern Leader Sri Kamlesh Chaturvedi writes on facebook as follows:-
सरकार भी मस्त फिरकी लेती है-वेतन पुनर्निर्धारण के मुद्दे पर सरकार ऐसे अनुस्मारक निकाल रही है-मानों वह बैंक कर्मियों के लिए बहुत चिंतित है । इस फिरकी का असर भी साफ़ साफ़ दृष्टिगोचर है-बैंक कर्मी सरकार के अनुस्मारक को सोशल मीडिया में साझा कर नेताओं से सवाल कर रहे हैं कि आप क्यों सोए पड़े हैं ?
क्या वास्तव में सरकार बैंक कर्मियों के वेतन मान को लेकर चिंतित है और चाहती है कि समय से द्विपक्षीय समझौता लागू हो जाय और क्या हमारे नेता वास्तव में इतने उदासीन हैं कि सरकार की पहल का फ़ायदा इसलिए नहीं उठाना चाहते क्योंकि समय से द्विपक्षीय समझौता लागू होने से उन्हें लेवी का नुक़सान होगा जैसा कि कुछ लोग विचार व्यक्त कर रहे हैं ?
पहले सरकार की नीति और नियति की चर्चा । अगर सरकार वास्तव में बैंक कर्मियों के लिए चिंतित है तो उसे वी बैंकर्स की इस माँग से कोई परहेज़ नहीं होना चाहिए कि गुप्त मतदान के ज़रिए बैंक कर्मियों में रायशुमारी हो कि वे द्विपक्षीय समझौता चाहते हैं या वेतन आयोग । इस मुद्दे पर सरकार बिलकुल भी गम्भीर नहीं है क्योंकि इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद सरकारी मशीनरी ने उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन हेतु कुछ नहीं किया-बल्कि सरकार के इशारे पर उप-मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) ने उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना की । मजबूरन वी बैंकर्स को कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट के लिए याचिका लगानी पड़ी है ।
क्या सरकार को नहीं मालूम कि अधिक जोखिम वहन करने के बावजूद बैंक कर्मी केंद्रीय सरकार व अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन और अन्य सुविधाओं में कहीं नही ठहरते ?
सच तो यह है कि सरकार अच्छी तरह जानती है कि द्विपक्षीय समझौता वार्ता में Capacity to Pay का जो सिद्धान्त प्रतिपादित हो चुका है उसके चलते अगर बैंक कर्मियों के वेतन पुनर्निर्धारण कि प्रक्रिया समय से पूरी होगी तो बैंक कर्मियों के हाथ वेतन बढ़ोत्तरी के रूप में कुछ नहीं लगना है क्योंकि अधिकांश बैंक NPA रोग के कारण आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रही हैं और उन्होंने बैंक स्तर पर कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधा में भी कटौती की है ।
नेताओं के सामने भी सबसे बड़ी दुविधा यही है -एक तरफ़ द्विपक्षीय समझौता वार्ता के ज़रिए सेवा शर्तें तय करने के आदर्श अधिकार को वे बैंक कर्मियों को वेतन आयोग के दायरे में लिए जाने की माँग और संघर्ष कर खोना नहीं चाहते वहीं दूसरी और उन्हें अच्छी तरह पता है कि वर्तमान हालातों में बैंक कर्मियों की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप वेतन वृद्धि करवाना सम्भव ही नहीं है ।
कुल मिलाकर सरकार द्वारा समय से द्विपक्षीय समझौते के ज़रिए वेतन पुनर्निर्धारण हेतु बार बार अनुस्मारक निकालना एक सोची समझी कूटनैतिक चाल है जिसके ज़रिए वह एक तरफ़ बैंक कर्मियों को उनके लिए चिन्तित होने का संदेश दे रही है वहीं दूसरी और उन्हें अपने ही नेताओं के ख़िलाफ़ भड़का भी रही है ।
इन हालातों में सबसे बेहतर रास्ता वी बैंकर्स का वेतन आयोग में सम्मिलित होने की माँग करने और सरकार पर दबाव बनाने का रास्ता है -दीर्घकालिक दृष्टि से वेतन आयोग में शामिल होने से बैंक कर्मी अपना भाग्य देश के लाखों केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ जोड़ लेंगे और कम से कम समानता और बराबरी हांसिल कर लेंगे -वेतन आयोग में शामिल होना कार्यरत और सेवा निवृत्त बैंक कर्मियों की अनेकानेक समस्याओं का एक मात्र समाधान है ।
The Supreme Court’s ruling that temporary employees are entitled to regular pay scale, along with dearness allowance, as their peers in government doing the same work is a welcome decision.
The ruling, passed in cross appeals by the Punjab government and temporary workers, reaffirms the concept of the right to equality enshrined in our Constitution.
Supreme Court says the principle of equal pay for equal work constitutes a clear and unambiguous right and is vested in every employee, whether engaged on a regular or a temporary basis. The specific ruling is for those employed by the government. But this sets the norm for the private sector as well.
Central Vigilance Commission (CVC) has asked the Banks to report to it any suspected fraud cases of one crore rupees and above.
CVC has now made it mandatory for the public sector banks to share their reports relating to all loan frauds involving funds over Rs one crore. Till now this report was shared with the RBI only.
Banks will also now have to report the modus operandi of all the alleged frauds to the CVC which will share these details with other banks to prevent such cases being repeated.
CVC has now made it mandatory for the public sector banks to share their reports relating to all loan frauds involving funds over Rs one crore. Till now this report was shared with the RBI only.
Banks will also now have to report the modus operandi of all the alleged frauds to the CVC which will share these details with other banks to prevent such cases being repeated.
The Commission will also call regular monthly meetings of senior officials of Reserve Bank of India (RBI), CBI and banks to monitor probe in suspected bank frauds of 50 crore rupees and above.
According to CBI data, in 2015, the agency had probed 171 cases of bank frauds involving funds of 20,646 crore rupees. In addition, CBI is also investigating the Ponzi schemes involving funds of over 1.20 lakh crore rupees.
According to CBI data, in 2015, the agency had probed 171 cases of bank frauds involving funds of 20,646 crore rupees. In addition, CBI is also investigating the Ponzi schemes involving funds of over 1.20 lakh crore rupees.
Central Vigilance Commission (CVC) has recommended penalty against 26 officials of public sector banks (PSBs), and found some officials of Defence and various Ministries guilty of irregularities.
“A major penalty proceeding have been recommended against six officials each working in Bank of Baroda and Central Bank of India, four in Canara Bank, three in Union Bank of India, two officials in State Bank of India, one each in Bank of India, Bank of Maharashtra, Indian Bank, Industrial Development Bank of India and State Bank of Patiala,” .
“On the advice of Commission, competent authorities imposed penalties on 244 officials of their concerned departments and prosecution order were issued against 10 officials,”
CVC is conducting a study of 25 CPSEs/Ministries/Departments/PSBs etc from different sectors to be covered for their ranking on the Integrity Index based on their performance to ensure corruption free environment. The list includes the Oil Sector giants IOC and ONGC, NTPC, Power Grid Corporation, SAIL, Eastern Coalfields and Western Coalfields, PNB, Syndicate Bank, Railways, NHAI, Mumbai Port Trust, RVNL, NMDC, NALCO, BEL, BHEL, FCI, CCI, EPFO, CBDT, MTNL, DDA, South MCD and MCI.
Commission has envisaged a concept of Integrity Pledge, for enlisting support and commitment of the citizens and corporates/entities/firms etc to prevent and combat corruption. The pledges, one for citizens and the other for organizations, intend to affirm commitment to eradicate corruption and to uphold highest standards of ethical conduct, transparency and good governance. The pledges are available as e-pledges on the Commissions website (http://cvc.nic.in) in regional languages also. Citizens and organizations taking the Integrity pledge would be provided a certificate acknowledging and appreciating their commitment to the cause of anti-corruption.
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